Maa Mahagauri Stotra

॥ ध्यान मंत्र ॥

वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहारूढा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वीनीम्॥

अर्थ — मैं मनोवांछित लाभ प्राप्त करने के लिए, सभी तरह के मनोरथों को पूरा करने वाली, मस्तक पर अर्ध चंद्र को धारण करने वाली, सिंह की सवारी करने वाली, चार भुजाओं वाली और यश प्रदान करने वाली महागौरी माता की वंदना करता हूँ।

पूर्णन्दु निभाम् गौरी सोमचक्रस्थिताम् अष्टमम् महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥

अर्थ — वे हमारी सभी इन्द्रियों में वास करती हैं, सोमचक्र को मजबूती प्रदान करती हैं, नवदुर्गा में आठवां रूप है जिनका नाम महागौरी है और उनके तीन नेत्र हैं। उन्होंने अपने दो हाथों में त्रिशूल व डमरू लिया हुआ है जबकि बाकि के दो हाथ भक्तों को अभय व वरदान देने की मुद्रा में है।

पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥

अर्थ — महागौरी माता पीले रंग के वस्त्र धारण करती हैं। उनके मुख पर स्नेह के भाव हैं और उन्होंने नाना प्रकार के आभूषणों से अपना अलंकार किया हुआ है। उन्होंने अपने शरीर पर मंजीर, हार, केयूर, किंकिणी व रत्नों से जड़ित कुंडल धारण किये हुए हैं।

प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीयां लावण्यां मृणालां चन्दन गन्धलिप्ताम्॥

अर्थ — मैं प्रसन्न मन के साथ महागौरी देवी की आराधना करता हूँ। उनका स्वरुप बहुत ही सुंदर, कमनीय, रमणीय व वैभव युक्त है। तीनों लोकों में उनकी पूजा की जाती है।

॥ स्तोत्र ॥

सर्वसंकट हंत्रीत्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

अर्थ — महागौरी माता हमारे सभी तरह के संकटों को दूर कर देती हैं। वे हमें धन व ऐश्वर्य प्रदान करती हैं। महागौरी माता की कृपा से ही हमें ज्ञान की प्राप्ति होती है। चारों वेद भी उनकी महिमा का वर्णन करते हैं। मैं महागौरी माता को प्रणाम करता हूँ।

सुखशांतिदात्री धनधान्यप्रदायनीम्।
डमरूवाद्यप्रिया अघा महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

अर्थ — माता महागौरी हमें सुख व शांति प्रदान करती हैं। उन्हीं के द्वारा ही हमारे घर में धन-संपदा आती है और हम धनवान बनते हैं। उन्हें डमरू तथा वाद्य यंत्र बहुत ही ज्यादा अच्छे लगते हैं। मैं महागौरी देवी को नमस्कार करता हूँ।

त्रैलोक्यमंगलात्वंहि तापत्रय प्रणमाम्यहम्।

वरदाचैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

अर्थ — तीनों लोकों में मंगल कार्य महागौरी माता की ही कृपा से संभव हो पाते हैं। वे तीनों लोकों के ताप को हर लेती हैं और हम सभी उन्हें प्रणाम करते हैं। वे ही इस सृष्टि के प्राणियों को वरदान देकर उनका उद्धार करती हैं। मैं महागौरी माँ को नमन करता हूँ।