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Magha Shradh

 मघा श्राद्ध 10 अक्टूबर दिन मंगलवार को है पितृ पक्ष के समय मघा नक्षत्र का प्रारंभ 10 अक्टूबर को प्रात: 05 बजकर 45 मिनट और 11 अक्टूबर दिन बुधवार को सुबह 08 बजकर 45 मिनट पर खत्म होगा। 

हिंदू धर्म में पितरों का आशीर्वाद और उनकी मुक्ति के लिए पितृ पक्ष में श्राद्ध की परंपरा है। माना जाता है कि इस समय पितर धरती पर आते हैं और तर्पण, श्राद्ध आदि स्वीकार करते हैं। आपके द्वारा प्रस्तावित पितृ पक्ष में माघ श्राद्ध को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसके स्वामी स्वयं पितर होते हैं। इस कारण मघा नक्षत्र में किये गये श्राद्ध का अत्यधिक धार्मिक महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस नक्षत्र पर यदि कोई व्यक्ति पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ अपने पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करता है तो उस पर पितरों का पूरा आशीर्वाद मिलता है। 

मघा श्राद्ध का धार्मिक महत्व

हिंदू मान्यता के अनुसार, मघा नक्षत्र में पितरों का तर्पण और दान करने से हर काम बिना देरी या अड़चन के पू्रा हो जाता है  ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में पितृदोष दूर करने के लिए माघ श्राद्ध का बहुत महत्व है। इस दौरान गाय या कौए को भोजन कराने से सीधा पितरों तक पहुंचता है।  मान्यता है कि इस नक्षत्र में पितरों का पूरी श्रद्धा के साथ श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाए तो पूर्वज काफी प्रसन्न होते हैं और घर-परिवार पर दया-दृष्टि बनाए रखते हैं। 

मघा श्राद्ध पर क्या करें ?

  • माघ श्राद्ध के दिन पिंडदान, तर्पण आदि करने के बाद। अपने पितरों को विधि-विधान से सम्मानपूर्वक ब्राह्मण को भोजन कराएं। मान्यता है कि इससे पितर जल्द ही तृप्त और प्रसन्न हो जाते हैं।
  • माघ श्राद्ध के दिन गाय, कौवे, कुत्ते आदि को भोजन खिलाएं। माना जाता है कि यह भोजन पशु-पक्षियों के माध्यम से पितरों तक पहुंचता है।
  • माघ श्राद्ध पितृपक्ष के दिन स्नान के बाद पितरों को जल अर्पित करें। ऐसा करने से बिना किसी देरी या बाधा के पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही कुंडली में मौजूद पितृ दोष भी दूर हो जाता है।
  • याद रखें कि माघ श्राद्ध पर अपने पितरों को तर्पण करते समय ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करना न भूलें। इससे उनकी आत्मा जल्द ही संतुष्ट हो जाएगी और आप पर आशीर्वाद बना रहेगा।
  • माघ श्राद्ध के दिन सात्विक भोजन करना चाहिए।

मघा श्राद्ध पर क्या न करें ?

  • माघ श्राद्ध के दिन अपने परिवार के बुजुर्गों और पूर्वजों का अनादर न करें। इससे पितर नाराज हो जाते हैं।
  • माघ श्राद्ध के दौरान प्याज, लहसुन, मांस और शराब से परहेज करना चाहिए। इससे पितृदोष हो सकता है।
  • इस दिन किसी भी शुभ कार्य जैसे कि धर्मनिरपेक्ष गतिविधियां, गृहप्रवेश, नामकरण समारोह, विवाह आदि की योजना नहीं बनाई जानी चाहिए।