
हिंदू धर्म में शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है। वे कर्मों के अनुसार फल देने वाले देव हैं। उनकी दृष्टि जिस पर भी पड़ती है, उसका जीवन बदल सकता है — चाहे वह उन्नति की दिशा में हो या कठिनाई की ओर। शनि देव के जयंती का विशेष महत्व है, जिसे ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन को “शनि जयंती” या “शनि जयंती दिवस” के नाम से जाना जाता है। इस दिन शनि देव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, ताकि उनके कोप से बचा जा सके और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख, समृद्धि और न्याय मिले।
शनि देव जयंती क्या है?
शनि देव प्राकट्य उस दिन को कहा जाता है जब भगवान शनि का जन्म हुआ था। यह दिन ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को आता है और इसे अत्यंत शुभ एवं प्रभावशाली माना जाता है। इस दिन को “शनि जयंती” के नाम से भी जाना जाता है। शनि देव सूर्य देव और छाया (संवर्णा) के पुत्र हैं। उनका जन्म शनिश्चरी अमावस्या को हुआ था, अतः इस दिन को उनका प्राकट्य दिवस मानते हैं।
शनि देव के जन्म की कथा
पुराणों के अनुसार, सूर्य देव की पत्नी छाया ने गहन तपस्या के बाद शनि देव को जन्म दिया। जब शनि देव का जन्म हुआ, उस समय छाया मां तप में लीन थीं, और शनि देव गर्भ में ही तप की ऊर्जा से प्रभावित हो गए। परिणामस्वरूप जब वे जन्मे तो उनका रंग काला था। सूर्य देव ने उन्हें अपनाने से इनकार कर दिया और उनका तिरस्कार किया। इस कारण शनि देव ने अपने पिता को क्रोध की दृष्टि से देखा जिससे सूर्य देव का तेज मंद हो गया। तब देवताओं ने हस्तक्षेप कर समझौता करवाया।
इस घटना से स्पष्ट है कि शनि देव के अंदर न्याय, तप, संयम और गंभीरता का अद्भुत संगम है। वे न्यायप्रिय हैं और हर प्राणी को उसके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं।
शनि देव की विशेषताएं
- शनि नवग्रहों में एक प्रमुख ग्रह हैं।
- इन्हें मंद गति से चलने वाला ग्रह माना गया है।
- शनि की साढ़ेसाती और ढैया का असर मानव जीवन पर गहरा पड़ता है।
- ये व्यक्ति के अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब रखते हैं।
- इनके प्रभाव से व्यक्ति को दुख, कष्ट, विलंब या फिर असाधारण सफलता दोनों मिल सकती है।
शनि जयंती दिवस क्यों मनाया जाता है?
- शनि देव का जन्मदिवस होने के कारण
यह दिन शनि देव के प्राकट्य का प्रतीक है। उनके भक्त इस दिन विशेष श्रद्धा से उन्हें याद करते हैं। - कर्मों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए
शनि देव कर्मों का फल देने वाले देवता हैं। इस दिन लोग अपने जीवन और कर्मों का आत्मनिरीक्षण करते हैं। - शनि दोष और साढ़ेसाती से राहत के लिए
ज्योतिष में शनि की साढ़ेसाती, ढैया और शनि की महादशा से उत्पन्न कष्टों को कम करने के लिए इस दिन विशेष पूजा की जाती है। - धर्म और संयम का अनुसरण करने के लिए
शनि का दिन हमें संयम, धैर्य, न्याय और सच्चाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
शनि जयंती दिवस पर क्या करें?
- शनि देव की पूजा
- सुबह उठकर स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें।
- पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
- शनि चालीसा, शनि स्तोत्र और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- शनि मंत्र: “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का 108 बार जाप करें।
- तिल का दान और सेवन
- काले तिल, काला वस्त्र, लोहा, कंबल और सरसों का तेल का दान करें।
- तिल मिश्रित जल से स्नान करना शुभ माना जाता है।
- पीपल की पूजा
- पीपल के वृक्ष की जड़ में जल अर्पित करें और सात परिक्रमा करें।
- गरीबों को भोजन कराएं
- भूखों को अन्न और जरूरतमंदों को वस्त्र दान करें। यह शनि को प्रसन्न करता है।
- ब्राह्मण भोजन और दक्षिणा देना
- योग्य ब्राह्मण को भोजन कराएं और यथाशक्ति दक्षिणा दें।
- हनुमान जी की पूजा
- शनि के प्रभाव को शांत करने के लिए हनुमान जी की पूजा अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है।
शनि जयंती दिवस पर क्या न करें?
- झूठ और धोखा ना दें
शनि देव सच्चाई और न्याय के प्रतीक हैं। इस दिन किसी के साथ अन्याय, झूठ या धोखा न करें। - निंदा या बुराई से बचें
दूसरों की निंदा या बुराई करने से शनि अप्रसन्न होते हैं। - मद्यपान और मांसाहार से दूर रहें
इस दिन सात्विक आहार ही लें और संयमित जीवनशैली अपनाएं। - किसी को दुख न पहुंचाएं
जान-बूझकर किसी को मानसिक या शारीरिक कष्ट देना शनि को क्रोधित कर सकता है। - तेल में झांकना या तेल गिराना वर्जित है
शनि पूजा में तेल का प्रयोग पवित्र भाव से करें। तेल को गिराना अशुभ माना जाता है।
शनि जयंती दिवस का महत्व
- आध्यात्मिक शुद्धता
यह दिन व्यक्ति को आत्म-निरीक्षण का अवसर देता है, जिससे वह अपने दोषों को पहचानकर सुधार की दिशा में कार्य कर सकता है। - कर्म सिद्धांत की समझ
शनि देव हमें यह सिखाते हैं कि कोई भी कर्म व्यर्थ नहीं जाता — अच्छे कर्मों का अच्छा और बुरे कर्मों का बुरा फल अवश्य मिलता है। - न्यायप्रियता की प्रेरणा
शनि देव का चरित्र हमें न्यायप्रिय और निष्पक्ष बनने की प्रेरणा देता है। - धैर्य और सहनशीलता
शनि की चाल धीमी है, जिससे वे धैर्य और समय की परीक्षा लेते हैं। यह दिन हमें सहनशीलता और समय के महत्व को समझाता है। - कष्टों से मुक्ति का उपाय
इस दिन शनि की विशेष पूजा करने से जीवन में आ रहे कष्ट, बाधाएं, आर्थिक संकट, रोग आदि से राहत मिलती है।
कई भक्त इस दिन व्रत भी रखते हैं। व्रत रखने से मन, वचन और कर्म की शुद्धि होती है। व्रत के दौरान काले वस्त्र पहनकर दिनभर शनि की पूजा करना, ध्यान लगाना, सत्संग सुनना, और सेवा करना शुभ माना गया है।
शनि देव का प्राकट्य दिवस एक ऐसा अवसर है, जो व्यक्ति को अपने कर्मों पर विचार करने, न्याय और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। यह दिन हमें आत्मिक शुद्धि, संयम, सेवा और न्याय के महत्व को समझाता है। अगर सही विधि से शनि देव की आराधना की जाए, तो उनके अशुभ प्रभाव को शांत कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। अतः इस दिन श्रद्धा, आस्था और पवित्रता के साथ शनि देव की पूजा अवश्य करें।