Shri Krishan Ji 108 Names
- कृष्ण – आकर्षित करने वाला, विश्व का प्राण, उसकी आत्मा।
- कमलनाथ – भगवान विष्णु, कमला के भगवान।
- वासुदेव – श्री कृष्ण के पिता, धन के भगवान।
- सनातन – शाश्वत या ‘हमेशा बना रहने वाला’, अर्थात् जिसका न आदि है न अन्त।
- वसुदेवात्मज – वासुदेव के पुत्र
- पुण्य – अति शुद्ध
- लीलामानुष विग्रह – मानव जाति को भूतकाल प्रदर्शन करने के लिए मान लेना
- श्रीवत्स कौस्तुभधराय – श्री वत्स और कौस्तुभ रत्न पहने
- यशोदावत्सल – माँ यशोदा का प्यारा बच्चा
- हरि – प्रकृति के भगवान
- चतुर्भुजात्त चक्रासिगदा – चार भुजा शास्त्र धारण किये हुए।
- सङ्खाम्बुजा युदायुजाय – सुदर्शन-चक्र, एक तलवार, गदा, शंख-कमल, कमल का फूल, और विभिन्न वाटों को धारण करने वाले।
- देवाकीनन्दन – माता देवकी के पुत्र
- श्रीशाय – श्री (लक्ष्मी) का निवास
- नन्दगोप प्रियात्मज – नंदा गोप का प्यारा बच्चा
- यमुनावेगा संहार – यमुना नदी की गति को नष्ट करने वाला
- बलभद्र प्रियनुज – बलराम का छोटा भाई
- पूतना जीवित हर – राक्षसी पूतना को मारने वाले
- शकटासुर भञ्जन – दानव शकटासुर का संहारक
- नन्दव्रज जनानन्दिन – नंद और ब्रज के लोगों के लिए खुशी लाने वाला
- सच्चिदानन्दविग्रह – अस्तित्व, जागरूकता और आनंद का अवतार
- नवनीत विलिप्ताङ्ग – भगवान जिनका शरीर माखन से लिप्त हो।
- नवनीतनटन – मक्खन के लिए जो नाचते हैं।
- मुचुकुन्द प्रसादक – प्रभु ने मुचुकुन्द को धारण किया
- षोडशस्त्री सहस्रेश – 16,000 महिलाओं के प्रभु
- त्रिभङ्गी – तीन बल (गर्दन, कमर और पैर में) देकर खड़ा
- मधुराकृत – आकर्षक रूप
- शुकवागमृताब्दीन्दवे – सुकदेव (शुका) के अनुसार अमृत का महासागर
- गोविन्द – जो गायों, भूमि और संपूर्ण प्रकृति को प्रसन्न करता है।
- योगीपति – योगियों के भगवान
- वत्सवाटि चराय – बछड़ों की देखभाल, उन्हें चराने वाले
- अनन्त – अंतहीन भगवान
- धेनुकासुरभञ्जनाय – भगवान जो आस-दानव धेनुकासुर को हरा देते हैं
- तृणी-कृत-तृणावर्ताय – बवंडर दानव त्रिनवार्ता का संहार करने वाले
- यमलार्जुन भञ्जन – अर्जुन भगवान नारा के अवतार थे जो भगवान विष्णु के सबसे अच्छे दोस्त थे।
- उत्तलोत्तालभेत्रे – धेनुका का संहार करने वाले
- तमाल श्यामल कृता – उनका शरीर तामला के पेड़ की तरह है, बहुत ही काला।
- गोप गोपीश्वर – गोपी और गोपियों का भगवान
- योगी – योगियों में श्रेष्ठ; महान योगी
- कोटिसूर्य समप्रभा – एक लाख सूर्य के रूप में चमकने वाले।
- इलापति – जो ज्ञान के स्वामी हैं।
- परंज्योतिष – परम ज्योति – पूर्ण प्रकाश
- यादवेंद्र – यादव वंश के भगवान
- यदूद्वहाय – यदुओं का नेता
- वनमालिने – एक चांदी की माला पहने हुए
- पीतवससे – पीले वस्त्र पहने हुए।
- पारिजातापहारकाय – पारिजात फूल
- गोवर्थनाचलोद्धर्त्रे – गोवर्धन पर्वत को अपनी ऊँगली से उठाने वाले।
- गोपाल – गायों के रक्षक।
- सर्वपालकाय – सभी जीवों के रक्षक
- अजाय – जीवन और मृत्यु के विजेता
- निरञ्जन – निष्कलंक भगवान
- कामजनक – सांसारिक मन में एक उत्पन्न करने वाली इच्छाएँ
- कञ्जलोचनाय – सुंदर आंखों वाले
- मधुघ्ने – दानव मधु के संहारक
- मथुरानाथ – मथुरा के भगवान
- द्वारकानायक – द्वारका के नायक
- बलि – शक्ति के भगवान
- बृन्दावनान्त सञ्चारिणे – वृंदावन के बाहरी इलाकों के बारे में
- तुलसीदाम भूषनाय – तुलसी माला धारण किये हुए
- स्यमन्तकमणेर्हर्त्रे – जिन्होंने स्यामंतका गहना का विनियोजन किया
- नरनारयणात्मकाय – नारा-नारायण
- कुब्जा कृष्णाम्बरधराय –
- मायिने – जादूगर, माया के भगवान
- परमपुरुष – सर्वोच्च
- मुष्टिकासुर चाणूर मल्लयुद्ध विशारदाय – संसारवासी
- संसारवैरी – भौतिक अस्तित्व के दुश्मन
- कंसारिर – राजा कंस के शत्रु
- मुरारी – दानव मुरा के दुश्मन
- नाराकान्तक – दानव नरका का संहार करने वाले
- अनादि ब्रह्मचारिक – जिसकी सीमा न हो; जिसका आदि न हो; जिसका आदि या आरंभ न हो। जो सदा से बना चला आ रहा हो।
- कृष्णाव्यसन कर्शक – द्रौपदी के संकट का निवारण
- शिशुपालशिरश्छेत्त – शिशुपाल का सिर धड़ से अलग करने वाले
- दुर्यॊधनकुलान्तकृत – दुर्योधन के राजवंश का विनाशक
- विदुराक्रूर वरद – दानव नरका का संहार करनेवाला
- विश्वरूपप्रदर्शक – विश्वरूपा का प्रकटीकरण (सार्वभौमिक रूप)
- सत्यवाचॆ – सत्य बोलने वाला
- सत्य सङ्कल्प – सच्चे संकल्प के भगवान
- सत्यभामारता – सत्यभामा के प्रेमी
- जयी – हमेशा विजयी भगवान
- सुभद्रा पूर्वज – सुभद्रा के भाई
- विष्णु – भगवान विष्णु
- भीष्ममुक्ति प्रदायक – भीष्म को मोक्ष दिलाने वाले
- जगद्गुरू – ब्रह्मांड के पूर्वदाता
- जगन्नाथ – ब्रह्मांड के भगवान
- वॆणुनाद विशारद – बांसुरी संगीत के बजाने में एक विशेषज्ञ
- वृषभासुर विध्वंसि – दानव वृषासुर के संहारक
- बाणासुर करान्तकृत – भगवान जिन्होंने बनसुरा के शस्त्रों को जीत लिया
- युधिष्ठिर प्रतिष्ठात्रे – युधिष्ठिर को एक राजा के रूप में स्थापित करने वाले
- बर्हिबर्हावतंसक – मोर पंख सजाये हुए
- पार्थसारथी – अर्जुन के रथ चालक
- अव्यक्त – अनभिव्यक्त
- गीतामृत महोदधी – भगवद्गीता का अमृत युक्त एक महासागर
- कालीयफणिमाणिक्य रञ्जित श्रीपदाम्बुज – भगवान जिनके कमल के पैर कालिया नाग के हुड से रत्न धारण करते हैं
- दामॊदर – कमर में एक रस्सी के साथ बंधे
- यज्ञभोक्त – यज्ञ और तपों का भोक्ता और सम्पूर्ण लोकों का महान् ईश्वर तथा भूतमात्र का सुहृद् (मित्र
- दानवॆन्द्र विनाशक – असुरों के भगवान का नाश करने वाला
- नारायण – जो भगवान विष्णु है
- परब्रह्म – परम ब्रह्म
- पन्नगाशन वाहन – जिसका वाहक (गरुड़) देवराज सर्प है
- जलक्रीडा समासक्त गॊपीवस्त्रापहाराक – भगवान जो गोपी के कपड़े छिपाते थे जबकि वे यमुना नदी में खेलते थे
- पुण्य श्लॊक – प्रभु किसकी स्तुति करता है श्रेष्ठ गुणगान करता है
- तीर्थकरा – पवित्र स्थानों के निर्माता
- वॆदवॆद्या – वेदों का स्रोत
- दयानिधि – करुणा का खजाना
- सर्वभूतात्मका – तत्वों की आत्मा
- सर्वग्रहरुपी – सम्पूर्णता
- परात्पराय – महानतम से महान