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Vaishakh Purnima | वैशाख पूर्णिमा: पुण्य, व्रत और पूजन का पावन पर्व | PDF

वैशाख पूर्णिमा हिन्दू पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को कहा जाता है। यह दिन धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना जाता है। यह न केवल हिन्दू धर्म के लिए बल्कि बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन को बौद्ध धर्म में “बुद्ध पूर्णिमा” के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण हुआ था।

हिन्दू धर्म में वैशाख पूर्णिमा का संबंध दान, पुण्य, स्नान और व्रत से होता है। यह दिन धर्म और आध्यात्मिक साधना का प्रतीक होता है, जिसमें व्यक्ति आत्मशुद्धि और पुण्य प्राप्ति की भावना से विविध धार्मिक अनुष्ठान करता है।

वैशाख पूर्णिमा क्यों रखी जाती है?

  • पवित्र स्नान और दान का महापर्व: यह तिथि स्नान और दान के लिए सबसे श्रेष्ठ मानी गई है। मान्यता है कि इस दिन गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है।
  • धार्मिक साधना और पूजन: इस दिन भगवान विष्णु के सत्यनारायण स्वरूप की पूजा की जाती है। पूजा और उपवास करने से भक्तों को जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त होती है।
  • बुद्ध पूर्णिमा के रूप में: भगवान बुद्ध के जीवन की तीन महत्वपूर्ण घटनाएँ—जन्म, ज्ञान प्राप्ति और निर्वाण—इसी दिन घटित हुईं। इस कारण यह दिन बौद्ध धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है।

वैशाख पूर्णिमा की पूजा विधि

वैशाख पूर्णिमा के दिन श्रद्धालु उपवास रखते हैं और पूरे दिन भगवान का स्मरण करते हैं। पूजा विधि इस प्रकार है:

1. प्रातः स्नान और व्रत का संकल्प:

  • सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर गंगाजल मिले जल से स्नान करें।
  • स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • व्रत का संकल्प लें— “मैं भगवान विष्णु की कृपा पाने हेतु आज वैशाख पूर्णिमा का व्रत करता हूँ।”

2. पूजन स्थल की तैयारी:

  • घर के किसी शांत स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।
  • भगवान विष्णु या सत्यनारायण जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • पीला वस्त्र अर्पण करें और चंदन, अक्षत, पुष्प, तुलसी आदि अर्पित करें।

3. व्रत कथा का पाठ:

  • सत्यनारायण व्रत कथा का पाठ करें या सुनें।
  • कथा के अंत में आरती करें।

4. भोग और प्रसाद:

  • भगवान को फल, पंचामृत, खीर, हलवा, पान, नारियल और सूखे मेवे का भोग अर्पित करें।
  • भोग के बाद प्रसाद वितरित करें।

5. दान-पुण्य करें:

  • अन्न, जल, वस्त्र, घी, छाता, पंखा, जूते, गाय को हरा चारा और दक्षिणा का दान करें।
  • किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन कराएं।

6. रात्रि पूजन:

  • चंद्रमा को अर्घ्य देकर चंद्र पूजा करें।
  • रात्रि जागरण करें या भक्ति भाव से भगवान विष्णु का नामजप करें।

वैशाख पूर्णिमा के दिन क्या करें?

  • स्नान-दान अवश्य करें: यह दिन “स्नान, दान और तप” के लिए श्रेष्ठ है। गंगा स्नान या किसी तीर्थ स्थल पर स्नान विशेष फलदायक होता है।
  • भगवान विष्णु की आराधना करें: विष्णु सहस्रनाम, गीता पाठ या विष्णु मंत्रों का जाप करें।
  • सत्यनारायण व्रत कथा करें: यह कथा जीवन में सुख-समृद्धि और दोषों से मुक्ति दिलाती है।
  • बुद्ध पूर्णिमा मनाएं: बौद्ध अनुयायी बुद्ध की मूर्ति को स्नान कराकर धूप-दीप से पूजन करते हैं और त्रिपिटक का पाठ करते हैं।

वैशाख पूर्णिमा के दिन क्या न करें?

  • मांस-मदिरा का सेवन न करें: यह पूर्णतया वर्जित है।
  • झूठ, धोखा या अपवित्र कार्य न करें: इससे व्रत का फल नष्ट हो सकता है।
  • प्याज, लहसुन, तामसिक भोजन न खाएं: सात्विक भोजन करें।
  • क्रोध और कलह से बचें: शांति और संयम बनाकर रखें।

वैशाख पूर्णिमा के लाभ

  1. पापों से मुक्ति: इस दिन सच्चे भाव से व्रत और स्नान करने से जाने-अनजाने में हुए पापों का नाश होता है।
  2. स्वास्थ्य लाभ: पवित्र नदियों में स्नान करने से मानसिक और शारीरिक ऊर्जा प्राप्त होती है, जिससे रोगों में राहत मिलती है।
  3. सुख-समृद्धि की प्राप्ति: भगवान विष्णु की आराधना से परिवार में सुख, वैभव और शांति आती है।
  4. पूर्वजों की कृपा: इस दिन पिंडदान और तर्पण करने से पितरों को संतोष मिलता है और उनकी कृपा जीवन में बनी रहती है।
  5. ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति: बौद्ध अनुयायियों के लिए यह दिन मोक्ष प्राप्ति का प्रतीक है। यह आत्मज्ञान की दिशा में प्रेरित करता है।
  6. मानसिक शांति और आत्मिक बल: पूरे दिन संयम और ध्यान से आत्मा की शुद्धि होती है, जिससे मन स्थिर और शांत रहता है।

विशेष जानकारी

  • पौराणिक मान्यता: कहा जाता है कि वैशाख पूर्णिमा के दिन ही वेदव्यास जी ने महाभारत का लेखन प्रारंभ किया था।
  • दान में क्या देना चाहिए: जल से भरा घड़ा, सत्तू, चावल, सर्पदंश से बचाव हेतु सामग्री, खीर, मिठाई, गाय का भोजन, वस्त्र, पंखा आदि।

वैशाख पूर्णिमा न केवल एक तिथि है, बल्कि यह आत्मिक उन्नति, धर्म और आध्यात्मिक जागरूकता का महापर्व है। यह दिन हमें सिखाता है कि नियमित रूप से धर्म के पथ पर चलकर जीवन में शुद्धता, पवित्रता और पुण्य अर्जित किया जा सकता है। इस दिन का व्रत और पूजन मन, शरीर और आत्मा को निर्मल बनाता है।

जो भी भक्त इस दिन पूरे नियम, श्रद्धा और भक्ति से व्रत करता है, उसे जीवन के समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है और वह प्रभु की कृपा का पात्र बनता है। वैशाख पूर्णिमा का पर्व सम्पूर्ण मानवता को धर्म, करुणा, ज्ञान और सेवा का संदेश देता है।

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