Ashtami Shraddha अष्टमी श्राद्ध

अष्टमी श्राद्ध पितृ पक्ष के दौरान किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जो उन पितरों की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए किया जाता है जिनकी मृत्यु अष्टमी तिथि को हुई थी। यह श्राद्ध पितृ पक्ष के आठवें दिन, यानी अष्टमी तिथि पर किया जाता है, जो भाद्रपद (सितंबर-अक्टूबर) मास में आता है।

अष्टमी श्राद्ध का महत्व:

1. आत्मा की शांति और मोक्ष:

इस दिन पितरों के लिए किए गए श्राद्ध कर्म उनकी आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति में सहायक होते हैं। यह दिन पितरों को सम्मान और श्रद्धा अर्पित करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

2. पितृ दोष से मुक्ति:

अष्टमी श्राद्ध करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। यह श्राद्ध उन परिवारों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है जिनके पूर्वजों की आत्मा को शांति नहीं मिली होती।

अष्टमी श्राद्ध की विधि:

1. स्नान और शुद्धिकरण:

श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को सुबह जल्दी स्नान करके पवित्रता का पालन करना चाहिए। शुद्ध वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को साफ रखें।

2. पिंडदान और तर्पण:

श्राद्ध के दौरान पिंडदान और तर्पण की विधि प्रमुख होती है।

  • पिंडदान: चावल, जौ, और तिल से बने पिंड पितरों को अर्पित किए जाते हैं।
  • तर्पण: तिल और जल मिलाकर पितरों को अर्पित किया जाता है। यह उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए किया जाता है।

3. भगवान विष्णु और शिव की पूजा:

इस दिन भगवान विष्णु और शिव की पूजा की जाती है, क्योंकि वे पितरों की मुक्ति के लिए मार्गदर्शक माने जाते हैं। शिवजी को बेलपत्र और जल चढ़ाया जाता है और विष्णु सहस्रनाम का पाठ किया जाता है।

4. भोजन और अर्पण:

पितरों के लिए विशेष भोजन तैयार किया जाता है, जिसे पवित्रता और श्रद्धा से अर्पित किया जाता है। इसके अलावा, ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन कराना और दान देना श्राद्ध का एक महत्वपूर्ण अंग है।

अष्टमी श्राद्ध के मंत्र:

  • ओम् पितृभ्यः नमः: इस मंत्र के द्वारा पितरों को सम्मान दिया जाता है और उनकी आत्मा की तृप्ति की कामना की जाती है।
  • ओम् यमाय नमः: यमराज को समर्पित यह मंत्र पितरों की आत्मा की शांति के लिए उच्चारित किया जाता है।

विशेष नियम:

1. तामसिक भोजन से परहेज:

इस दिन मांस, मछली, अंडे, और अन्य तामसिक पदार्थों का सेवन वर्जित होता है। श्राद्ध करने वाला व्यक्ति सात्विक भोजन ही ग्रहण करता है।

2. श्रद्धा और भक्ति:

इस में पूर्ण श्रद्धा और भक्ति का होना आवश्यक है। पवित्रता का पालन करते हुए सभी अनुष्ठान विधिपूर्वक संपन्न किए जाते हैं।

अष्टमी श्राद्ध पितरों की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है। इस दिन किए गए पिंडदान, तर्पण और दान से पितरों को शांति मिलती है और परिवार में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।