Press ESC to close

VedicPrayersVedicPrayers Ancient Vedic Mantras and Rituals

Chaturdashi Shraddha 2025 | चतुर्दशी श्राद्ध तिथि, विधि एवं महत्व | PDF

चतुर्दशी श्राद्ध हिंदू धर्म में पितरों को श्रद्धांजलि देने और उनकी आत्मा की शांति के लिए किया जाने वाला एक विशेष अनुष्ठान है। यह श्राद्ध विशेष रूप से पितृ पक्ष के दौरान चतुर्दशी तिथि को किया जाता है, जो उन व्यक्तियों के लिए समर्पित होता है, जिनकी मृत्यु अचानक या अप्राकृतिक कारणों से होती है, जैसे कि दुर्घटना, आत्महत्या, हत्या, युद्ध या किसी विषैले जीव के काटने से मृत्यु। इस श्राद्ध का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यधिक होता है और इसे विधि-विधान से संपन्न करना आवश्यक होता है।

चतुर्दशी श्राद्ध 2025 तिथि

इस वर्ष, चतुर्दशी श्राद्ध 20 सितम्बर 2025, शनिवार को मनाया जाएगा। यह श्राद्ध पितृ पक्ष के अंतिम दिनों में आता है और इसका विशेष महत्व होता है।

चतुर्दशी श्राद्ध का महत्व

  1. अचानक मृत्यु का श्राद्ध: यह श्राद्ध विशेष रूप से उन लोगों के लिए किया जाता है, जिनकी मृत्यु किसी दुर्घटना, आत्महत्या, हत्या या भयावह कारणों से होती है। इसका उद्देश्य उन आत्माओं की शांति और उन्हें मोक्ष प्रदान करना होता है, जिनकी मृत्यु असमय या अप्राकृतिक रूप से हुई हो।
  2. महाभारत में उल्लेख: चतुर्दशी श्राद्ध का उल्लेख महाभारत के अनुशासन पर्व में भी मिलता है, जहाँ शास्त्रों में इसका पालन करने का निर्देश दिया गया है। इसे करना पितरों की आत्मा को शांति और परिवार को उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का तरीका माना जाता है।

चतुर्दशी श्राद्ध की विधि

 1. स्नान और शुद्धिकरण: चतुर्दशी के दिन व्रती को प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करना चाहिए। पवित्रता बनाए रखना इस अनुष्ठान में महत्वपूर्ण है।

2. पिंडदान और तर्पण:

  • पिंडदान: तिल, जौ और चावल से पिंड बनाकर पितरों को अर्पित किए जाते हैं। यह प्रक्रिया पूर्वजों की आत्मा को शांति प्रदान करने के लिए की जाती है।
  • तर्पण: तर्पण में जल और तिल मिलाकर पितरों को अर्पित किया जाता है, जिससे उनकी आत्मा को तृप्ति मिलती है।

3. पंचबलि का भोग:

  • चतुर्दशी तिथि के श्राद्ध में पंचबलि का भोग चढ़ाया जाता है, जिसमें गाय, कुत्ता, कौआ, देवता, और चींटियों को भोजन दिया जाता है।

4. ब्राह्मण भोज और दान: श्राद्ध के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है और वस्त्र, अन्न, धन आदि का दान दिया जाता है। गरीबों को भी भोजन और दान देना पुण्यकारी माना जाता है।

5. दरभा घास की अंगूठी: श्राद्ध करते समय, व्रती अपनी अंगुली में दरभा घास की अंगूठी धारण करता है। इसे शास्त्रों में पवित्र और शुद्धिकरण का प्रतीक माना गया है।

6. भगवान विष्णु और यमदेव की पूजा: इस दिन भगवान विष्णु और यमदेव की पूजा की जाती है, क्योंकि यमदेव को मृत्यु का देवता माना जाता है। भगवान विष्णु की कृपा और यमदेव का आशीर्वाद प्राप्त करना पितरों के मोक्ष के लिए महत्वपूर्ण होता है।

श्राद्ध का समय

चतुर्दशी श्राद्ध को दिन के मध्य में (अपराह्न काल) किया जाता है। शास्त्रों में कुतुप काल और रौहिण मुहूर्त को श्राद्ध के लिए शुभ समय माना गया है। श्राद्ध के सभी अनुष्ठानों को अपराह्न से पहले पूरा कर लेना चाहिए, और अंत में तर्पण करना अनिवार्य है।

चतुर्दशी श्राद्ध के लाभ

  1. पितरों की आत्मा को शांति: इस श्राद्ध से उन पितरों की आत्मा को शांति मिलती है जिनकी मृत्यु असमय या अप्राकृतिक कारणों से हुई हो। यह उनके मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।
  2. पितरों का आशीर्वाद: चतुर्दशी श्राद्ध करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो परिवार की सुख-शांति और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
  3. पितृ दोष से मुक्ति: चतुर्दशी श्राद्ध पितृ दोष से मुक्ति दिलाता है, जिससे घर-परिवार की समस्याएं समाप्त होती हैं और पितृ दोष के कारण आने वाली बाधाओं का निवारण होता है।

किसके लिए किया जाता है चतुर्दशी श्राद्ध?

  • जिनकी मृत्यु अचानक या किसी दुर्घटना में हुई हो।
  • युद्ध या किसी संघर्ष में मारे गए व्यक्तियों के लिए।
  • आत्महत्या, हत्या या जहरीले जीवों के काटने से मृत व्यक्तियों के लिए।
  • असमय मृत्यु के शिकार लोगों के लिए भी इस दिन श्राद्ध किया जाता है।

विशेष नियम

  • इस दिन व्रती को शुद्ध और सात्विक आहार का ही सेवन करना चाहिए।
  • मांसाहार, लहसुन, प्याज और अन्य तामसिक पदार्थों का सेवन वर्जित होता है।
  • श्राद्ध में भाग लेने वाले व्यक्ति को संयमित और शांतिपूर्ण रहना चाहिए।

चतुर्दशी श्राद्ध उन पूर्वजों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिनकी मृत्यु अचानक या अप्राकृतिक कारणों से हुई हो। यह श्राद्ध विधि-विधान से संपन्न करने पर न केवल पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करता है, बल्कि परिवार को उनके आशीर्वाद की प्राप्ति भी होती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, यह श्राद्ध करने से पितृ दोष समाप्त होता है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

चतुर्दशी श्राद्ध के इस विस्तृत विवरण से आपको इसकी प्रक्रिया, महत्व और लाभों के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो गई होगी।

Stay Connected with Faith & Scriptures

"*" आवश्यक फ़ील्ड इंगित करता है

declaration*
यह फ़ील्ड सत्यापन उद्देश्यों के लिए है और इसे अपरिवर्तित छोड़ दिया जाना चाहिए।