
गोवर्धन पूजा एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो हिन्दू धर्म में विशेष स्थान रखता है। यह मुख्य रूप से कार्तिक मास की शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। यह दिन भगवान श्री कृष्ण के गोवर्धन पर्वत को उठाने की याद दिलाता है, जब उन्होंने अपने भक्तों की रक्षा के लिए इन्द्र देव के क्रोध को शांत किया था।
गोवर्धन पूजा की तिथि
22 अक्टूबर 2025 (बुधवार) को गोवर्धन पूजा मनाई जाएगी। यह तिथि दिवाली के अगले दिन आती है।
दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा की जाती है, जबकि उसके अगले दिन गोवर्धन पूजा या अन्नकूट उत्सव मनाने की परंपरा है।
गोवर्धन पूजा का इतिहास:
गोवर्धन पूजा की कथा पौराणिक ग्रंथों में विस्तृत रूप से वर्णित है। कहा जाता है कि जब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाया, तो उन्होंने इन्द्र देव को यह दिखाया कि सच्ची भक्ति और विश्वास से बड़ी से बड़ी शक्ति को पराजित किया जा सकता है।
इस घटना ने गांववालों को सिखाया कि उन्हें प्राकृतिक शक्तियों का सम्मान करना चाहिए और केवल भगवान पर विश्वास रखना चाहिए।
गोवर्धन पूजा मनाने की प्रक्रिया:
1. गोवर्धन पर्वत का निर्माण:
- भक्त मिट्टी, गोबर और अन्य प्राकृतिक सामग्रियों से गोवर्धन पर्वत का आकार बनाते हैं। इसे रंग-बिरंगे फूलों और पत्तों से सजाया जाता है।
- कुछ स्थानों पर गोवर्धन पर्वत का निर्माण घर के आंगन में किया जाता है, जिससे यह दिखता है कि पूरा परिवार इस पूजा में शामिल है।
2. भोग का अर्पण:
- इस दिन विशेष रूप से कई प्रकार के व्यंजन तैयार किए जाते हैं। इनमें चावल, दाल, रोटी, सब्जियाँ, मिठाइयाँ और पकवान शामिल होते हैं।
- सभी व्यंजनों को गोवर्धन पर्वत पर अर्पित किया जाता है, जिससे भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है। इसे अन्नकूट कहा जाता है, जिसका अर्थ है ‘अन्न का ढेर'।
3. पूजा विधि:
- पूजा के समय, भक्त गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं और इसके चारों ओर घुमते हैं। इस दौरान मंत्रों का जाप और भजन गाए जाते हैं।
- विशेष रूप से “ओम गोवर्धनाय नमः” जैसे मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। इसके साथ ही, भक्त भगवान कृष्ण की आरती भी करते हैं।
4. खेल-कूद और उत्सव:
- इस अवसर पर समाज में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न खेल और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
- बच्चे गोवर्धन पर्वत के चारों ओर चक्कर लगाते हैं और विशेष मिठाइयों का आनंद लेते हैं।
गोवर्धन पूजा का आध्यात्मिक महत्व:
- पर्यावरण संरक्षण: गोवर्धन पूजा हमें यह सिखाती है कि हमें प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी निभानी चाहिए। यह पर्व हमें हमारे पर्यावरण की रक्षा करने और प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा देता है।
- भक्ति का महत्व: यह पूजा भगवान के प्रति अटूट भक्ति और विश्वास की भावना को मजबूत करती है। भक्तों का मानना है कि इस दिन की गई पूजा और अर्चना से उनके जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है।
गोवर्धन पूजा के बाद:
गोवर्धन पूजा के बाद, भक्त एक-दूसरे को मिठाई बांटते हैं और खुशियों का आदान-प्रदान करते हैं। इस दिन को विशेष रूप से परिवार और मित्रों के साथ मिलकर मनाने का महत्व है।
इस प्रकार, गोवर्धन पूजा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक उत्सव भी है, जो समाज में प्रेम, एकता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देता है।