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Maa Ganga Aarti | माँ गंगा आरती | PDF

  • Aartis
  • जनवरी 15, 2025

ओम जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता।
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता॥

हे माँ गंगे! आपकी जय हो, आपकी महिमा अपरंपार है। जो भी व्यक्ति आपकी उपासना करता है, उसकी सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं। आपकी कृपा से उसके जीवन में सुख और शांति का वास होता है।

चंद्र सी जोत तुम्हारी, जल निर्मल आता।
शरण पड़ें जो तेरी, सो नर तर जाता॥

आपकी आभा चंद्रमा की ज्योति के समान उज्ज्वल और शांत है। आपका जल हमेशा पवित्र और निर्मल रहता है। जो भी आपकी शरण में आता है, वह सांसारिक कष्टों से मुक्त होकर जीवन के पार हो जाता है।

पुत्र सगर के तारे, सब जग को ज्ञाता।
कृपा दृष्टि तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता॥

आपने राजा सगर के 60,000 पुत्रों का उद्धार किया था, यह बात संसार में प्रसिद्ध है। आपकी कृपा दृष्टि से तीनों लोकों (स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल) में सुख और शांति का प्रवाह होता है।

एक ही बार जो तेरी, शरणागति आता।
यम की त्रास मिटाकर, परमगति पाता॥

जो भी एक बार आपकी शरण में आता है, आप उसे यमराज के भय से मुक्त कर देती हैं। आपकी कृपा से वह व्यक्ति सर्वोच्च मोक्ष की प्राप्ति करता है।

आरती मात तुम्हारी, जो जन नित्य गाता।
दास वही सहज में, मुक्ति को पाता॥

जो व्यक्ति प्रतिदिन श्रद्धा और भक्ति से आपकी आरती गाता है, वह आपका सच्चा भक्त बन जाता है। ऐसे भक्त को सहज ही मोक्ष प्राप्त होता है।

ओम जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता।
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता॥

हे माँ गंगे! आपकी कृपा असीम है। आपकी उपासना करने वाला हर व्यक्ति अपने सभी इच्छित फल को प्राप्त करता है। आपकी महिमा अनंत है।

गंगा आरती का समय स्थान और ऋतु के अनुसार थोड़ा भिन्न हो सकता है। आमतौर पर, यह सुबह और शाम को की जाती है। नीचे कुछ प्रमुख स्थानों पर गंगा आरती के समय दिए गए हैं:

1. हरिद्वार (हर की पौड़ी):

  • सुबह: सूर्योदय के समय (लगभग 5:30 से 6:00 बजे)।
  • शाम: सूर्यास्त के समय (लगभग 6:00 से 7:00 बजे, गर्मियों में) और (5:00 से 6:00 बजे, सर्दियों में)।

2. वाराणसी (दशाश्वमेध घाट)

  • शाम की आरती:
    • गंगा आरती यहां सूर्यास्त के समय होती है।
    • गर्मियों में: शाम 6:30 से 7:30 बजे।
    • सर्दियों में: शाम 5:30 से 6:30 बजे।

3. ऋषिकेश (त्रिवेणी घाट)

  • शाम:
    • गंगा आरती सूर्यास्त के समय होती है।
    • गर्मियों में: शाम 6:30 से 7:30 बजे।
    • सर्दियों में: शाम 5:30 से 6:30 बजे।

आरती के दौरान क्या होता है?

  • भव्य दीपों और शंखनाद के साथ गंगा माँ की पूजा की जाती है।
  • मंत्रोच्चारण, भजन, और आरती के दौरान भक्त गंगा के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं।
  • यह एक दिव्य अनुभव है और हजारों लोग इसे देखने के लिए एकत्रित होते हैं।
माँ गंगा के बारे में
  1. उत्पत्ति और महत्व:
    गंगा नदी को हिंदू धर्म में पवित्रतम नदी माना जाता है। मान्यता है कि माँ गंगा भगवान विष्णु के चरणों से प्रकट हुई थीं और भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में स्थान दिया।
  2. भौगोलिक स्थिति:
    गंगा नदी भारत और बांग्लादेश में बहती है। इसका उद्गम स्थान गंगोत्री ग्लेशियर (उत्तराखंड) में गौमुख है। वहाँ से यह उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल होते हुए बंगाल की खाड़ी में मिलती है।
  3. धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व:
    • गंगा का जल पवित्र माना जाता है और इसका उपयोग पूजा-अर्चना व धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है।
    • इसे “मुक्तिदायिनी” माना जाता है, जो मोक्ष प्रदान करती है।
    • गंगा के किनारे स्थित प्रमुख धार्मिक स्थलों में हरिद्वार, काशी (वाराणसी), प्रयागराज (इलाहाबाद), और गंगासागर शामिल हैं।
  4. पौराणिक कथा:
    राजा सगर के 60,000 पुत्रों का उद्धार करने के लिए गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं। राजा भगीरथ ने कठिन तपस्या करके उन्हें स्वर्ग से धरती पर लाने का वरदान प्राप्त किया। इसी कारण गंगा को “भागीरथी” भी कहा जाता है।
गंगा का सांस्कृतिक योगदान

गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि भारत की सभ्यता और संस्कृति की धुरी है। इसे “जीवनदायिनी” और “मोक्षदायिनी” कहा गया है। इसकी आराधना, संरक्षण, और स्वच्छता हम सबकी जिम्मेदारी है।