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Maa Santoshi Aarti | संतोषी माता की आरती | PDF

जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता।
अपने सेवक जन की,
सुख सम्पत्ति दाता॥
अर्थ: हे संतोषी माता! आपकी जय हो। आप अपने भक्तों को सुख, शांति और संपत्ति प्रदान करती हैं।

सुन्दर चीर सुनहरी,
मां धारण कीन्हो।
हीरा पन्ना दमके,
तन श्रृंगार लीन्हो॥
अर्थ: माता ने सुनहरे वस्त्र पहने हैं। उनके आभूषणों में हीरे और पन्ने की चमक है, जिससे उनका तन सुशोभित हो रहा है।

गेरू लाल छटा छबि,
बदन कमल सोहे।
मंद हंसत करुणामयी,
त्रिभुवन जन मोहे॥
अर्थ: माता का शरीर गेरुआ और लाल आभा लिए हुए है। उनकी करुणामयी मुस्कान तीनों लोकों के लोगों को आकर्षित करती है।

स्वर्ण सिंहासन बैठी,
चंवर दुरे प्यारे।
धूप, दीप, मधु, मेवा,
भोज धरे न्यारे॥
अर्थ: माता स्वर्ण सिंहासन पर विराजमान हैं। उनके पास चंवर डुलाए जाते हैं, और उनके लिए धूप, दीप, मधु और मेवा का भोग अर्पित किया जाता है।

गुड़ अरु चना परम प्रिय,
तामें संतोष कियो।
संतोषी कहलाई,
भक्तन वैभव दियो॥
अर्थ: माता को गुड़ और चने का भोग सबसे प्रिय है। इस संतोष के कारण ही वे संतोषी माता कहलाती हैं और अपने भक्तों को वैभव प्रदान करती हैं।

शुक्रवार प्रिय मानत,
आज दिवस सोही।
भक्त मंडली छाई,
कथा सुनत मोही॥
अर्थ: माता को शुक्रवार का दिन विशेष प्रिय है। इस दिन भक्त मंडली उनकी कथा सुनने के लिए एकत्रित होती है।

मंदिर जगमग ज्योति,
मंगल ध्वनि छाई।
विनय करें हम सेवक,
चरनन सिर नाई॥
अर्थ: माता के मंदिर में ज्योति जल रही है और चारों ओर मंगलमय ध्वनि गूंज रही है। भक्त उनके चरणों में सिर झुकाकर प्रार्थना करते हैं।

भक्ति भावमय पूजा,
अंगीकृत कीजै।
जो मन बसे हमारे,
इच्छित फल दीजै॥
अर्थ: माता हमारी भक्ति और श्रद्धा से की गई पूजा को स्वीकार करें और हमारी मनोकामनाएँ पूर्ण करें।

दुखी दरिद्री रोगी,
संकट मुक्त किए।
बहु धन धान्य भरे घर,
सुख सौभाग्य दिए॥
अर्थ: माता दुख, दरिद्रता, और रोगों का नाश करती हैं। उनके आशीर्वाद से घर धन-धान्य और सुख-शांति से भर जाता है।

ध्यान धरे जो तेरा,
वांछित फल पायो।
पूजा कथा श्रवण कर,
घर आनंद आयो॥
अर्थ: जो भक्त माता का ध्यान करते हैं, वे अपनी इच्छाएँ पूर्ण करते हैं। उनकी पूजा और कथा सुनने से घर में सुख और आनंद का माहौल बनता है।

चरण गहे की लज्जा,
रखियो जगदम्बे।
संकट तू ही निवारे,
दयामयी अम्बे॥
अर्थ: हे जगदम्बे! जो भक्त आपके चरणों की शरण लेते हैं, उनकी लाज रखती हैं। आप ही उनके संकटों का निवारण करती हैं।

सन्तोषी माता की आरती,
जो कोई जन गावे।
रिद्धि सिद्धि सुख सम्पत्ति,
जी भर के पावे॥
अर्थ: जो भक्त पूरी श्रद्धा से संतोषी माता की आरती गाते हैं, उन्हें जीवन में सुख, समृद्धि और सिद्धि प्राप्त होती है।

जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता।
अपने सेवक जन की,
सुख सम्पत्ति दाता॥
अर्थ: हे संतोषी माता! आपकी जय हो। आप अपने भक्तों को हर प्रकार का सुख और संपत्ति प्रदान करती हैं।

संतोषी माता की आरती के लाभ

  1. मनोकामनाओं की पूर्ति: जो भक्त पूरी श्रद्धा और विश्वास से संतोषी माता की आरती करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
  2. संकटों का निवारण: माता की आरती करने से जीवन के संकट, कठिनाइयाँ और रोग दूर हो जाते हैं।
  3. धन और वैभव की प्राप्ति: माता की पूजा और आरती से घर में सुख, शांति और धन-धान्य का आगमन होता है।
  4. शांति और संतोष: माता की आराधना से मन में संतोष और स्थिरता आती है, जिससे मानसिक शांति मिलती है।
  5. सौभाग्य की प्राप्ति: आरती गाने वाले भक्तों को माता का आशीर्वाद मिलता है, जिससे उनका जीवन सौभाग्यशाली बनता है।
  6. पारिवारिक कल्याण: संतोषी माता की आरती करने से परिवार में प्रेम, सामंजस्य और खुशहाली बनी रहती है।
  7. भक्तों की रक्षा: माता अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और उनके जीवन में आने वाले हर कष्ट को दूर करती हैं।

आरती गाने का सही समय और विधि

  • आरती शुक्रवार के दिन विशेष रूप से की जाती है, क्योंकि यह माता का प्रिय दिन है।
  • पूजा के दौरान गुड़ और चने का भोग अर्पित करें, क्योंकि यह माता का प्रिय प्रसाद है।
  • शांत और स्वच्छ मन से आरती गाएं और माता का ध्यान करें।

Maa Santoshi Aarti Pdf