Press ESC to close

VedicPrayersVedicPrayers Ancient Vedic Mantras and Rituals

Maa Vaishno Devi Chalisa | माँ वैष्णो देवी चालीसा | PDF

  • Chalisa
  • दिसम्बर 23, 2024

|| माँ वैष्णो देवी चालीसा ||

दोहा

गरुड़ वाहिनी वैष्णवी, त्रिकुटा पर्वत धाम।
काली, लक्ष्मी, सरस्वती, शक्ति तुम्हें प्रणाम॥

हे माँ वैष्णो देवी, आप गरुड़ वाहन पर विराजमान हैं और त्रिकुटा पर्वत को अपना धाम बनाया है। आप काली, लक्ष्मी, और सरस्वती के रूप में विद्यमान हैं। हम आपको नमन करते हैं।

चौपाई

नमो: नमो: वैष्णो वरदानी। कलि काल में शुभ कल्याणी॥
हे माँ वैष्णो देवी, आपको बार-बार प्रणाम है। आप कलियुग में शुभ और कल्याणकारी देवी के रूप में जानी जाती हैं।

मणि पर्वत पर ज्योति तुम्हारी। पिंडी रूप में हो अवतारी॥
आपकी ज्योति मणि पर्वत पर प्रज्वलित होती है और आप पिंडी रूप में वहाँ निवास करती हैं।

देवी देवता अंश दियो है। रत्नाकर घर जन्म लियो है॥
आप देवी-देवताओं के अंश से उत्पन्न हुई हैं और रत्नाकर के घर में आपका जन्म हुआ है।

करी तपस्या राम को पाऊँ। त्रेता की शक्ति कहलाऊँ॥
आपने भगवान राम को पाने के लिए घोर तपस्या की और त्रेता युग में शक्ति के रूप में प्रसिद्ध हुईं।

कहा राम मणि पर्वत जाओ। कलियुग की देवी कहलाओ॥
भगवान राम ने आपको मणि पर्वत जाने का आदेश दिया और कहा कि आप कलियुग की देवी के रूप में पूजी जाएंगी।

विष्णु रूप से कल्की बनकर। लूंगा शक्ति रूप बदलकर॥
भगवान विष्णु ने कहा कि जब मैं कल्कि अवतार लूँगा, तब आपकी शक्ति का उपयोग करूंगा।

तब तक त्रिकुटा घाटी जाओ। गुफा अंधेरी जाकर पाओ॥
भगवान राम ने कहा कि तब तक आप त्रिकुटा घाटी में निवास करें और गुफा में जाकर भक्तों की रक्षा करें।

काली-लक्ष्मी-सरस्वती माँ। करेंगी शोषण-पार्वती माँ॥
आप काली, लक्ष्मी, और सरस्वती के रूप में भक्तों के कष्टों को हरने वाली हैं।

ब्रह्मा, विष्णु, शंकर द्वारे। हनुमत भैरों प्रहरी प्यारे॥
आपके द्वार पर ब्रह्मा, विष्णु, और शिव जी निवास करते हैं। हनुमान और भैरोंनाथ आपके पहरेदार हैं।

रिद्धि, सिद्धि चंवर डुलावें। कलियुग-वासी पूजत आवें॥
रिद्धि और सिद्धि आपके चंवर डुलाते हैं और कलियुग के भक्त आपकी पूजा करने आते हैं।

पान सुपारी ध्वजा नारियल। चरणामृत चरणों का निर्मल॥
आपको पान, सुपारी, ध्वजा, और नारियल अर्पित किए जाते हैं। आपके चरणों का निर्मल चरणामृत भक्तों को पवित्र करता है।

दिया फलित वर माँ मुस्काई। करन तपस्या पर्वत आई॥
आप भक्तों को फलित वरदान देती हैं और उनकी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं।

कलि कालकी भड़की ज्वाला। इक दिन अपना रूप निकाला॥
कलियुग में जब कष्ट बढ़े, तब आपने अपने दिव्य रूप को प्रकट किया।

कन्या बन नगरोटा आई। योगी भैरों दिया दिखाई॥
आप कन्या के रूप में नगरोटा आईं और वहाँ योगी भैरोंनाथ को दर्शन दिए।

रूप देख सुन्दर ललचाया। पीछे-पीछे भागा आया॥
भैरोंनाथ ने आपका सुंदर रूप देखकर आपका पीछा किया।

कन्याओं के साथ मिली माँ। कौल-कंदौली तभी चली माँ॥
आपने कन्याओं के साथ दर्शन दिए और फिर कौल-कंदौली गाँव की ओर प्रस्थान किया।

देवा माई दर्शन दीना। पवन रूप हो गई प्रवीणा॥
देवताओं को आपने दर्शन दिए और पवन रूप में अपना तेज प्रकट किया।

नवरात्रों में लीला रचाई। भक्त श्रीधर के घर आई॥
नवरात्रों के दौरान आपने श्रीधर नामक भक्त के घर में लीला रचाई।

योगिन को भण्डारा दीना। सबने रूचिकर भोजन कीना॥
आपने योगिनियों के लिए भंडारे का आयोजन किया और सभी ने स्वादिष्ट भोजन ग्रहण किया।

मांस, मदिरा भैरों मांगी। रूप पवन कर इच्छा त्यागी॥
भैरोंनाथ ने मांस और मदिरा मांगी, तब आपने पवन रूप धारण कर उनकी इच्छा को अस्वीकार कर दिया।

बाण मारकर गंगा निकाली। पर्वत भागी हो मतवाली॥
आपने बाण चलाकर गंगा की धारा निकाली और फिर पर्वत की ओर बढ़ गईं।

चरण रखे आ एक शिला जब। चरण-पादुका नाम पड़ा तब॥
जहाँ आपने अपने चरण रखे, वह स्थान चरण-पादुका के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

पीछे भैरों था बलकारी। छोटी गुफा में जाय पधारी॥
भैरोंनाथ आपके पीछे आ रहे थे। तब आप एक छोटी गुफा में जाकर निवास करने लगीं।

नौ माह तक किया निवासा। चली फोड़कर किया प्रकाशा॥
आपने नौ महीने तक वहाँ निवास किया और फिर गुफा को फोड़कर प्रकाश उत्पन्न किया।

आद्या शक्ति-ब्रह्म कुमारी। कहलाई माँ आद कुंवारी॥
आप आद्या शक्ति और ब्रह्म कुमारी के नाम से प्रसिद्ध हुईं।

गुफा द्वार पहुँची मुस्काई। लांगुर वीर ने आज्ञा पाई॥
आप गुफा के द्वार पर पहुँचीं और मुस्कुराईं। वहाँ लांगुर वीर ने आपकी आज्ञा पाई।

भागा-भागा भैरों आया। रक्षा हित निज शस्त्र चलाया॥
भैरोंनाथ आपके पीछे-पीछे गुफा तक आए और अपनी रक्षा के लिए हथियार उठाए।

पड़ा शीश जा पर्वत ऊपर। किया क्षमा जा दिया उसे वर॥
आपने उनका शीश काटकर पर्वत पर गिरा दिया और उन्हें क्षमा करते हुए वरदान दिया।

अपने संग में पुजवाऊंगी। भैरों घाटी बनवाऊंगी॥
आपने कहा कि मैं तुम्हें अपने साथ पूजवाऊंगी और भैरोंनाथ घाटी का निर्माण करूँगी।

पहले मेरा दर्शन होगा। पीछे तेरा सुमरन होगा॥
आपने कहा कि पहले मेरे दर्शन होंगे और उसके बाद तुम्हारा स्मरण होगा।

बैठ गई माँ पिण्डी होकर। चरणों में बहता जल झर-झर॥
आप पिंडी रूप में विराजमान हो गईं और आपके चरणों से जल की धारा बहने लगी।

चौंसठ योगिनी-भैंरो बरवन। सप्तऋषि आ करते सुमरन॥
आपके साथ 64 योगिनियाँ और भैरोंनाथ आपकी सेवा में लगे रहते हैं। सप्तऋषि भी आपका स्मरण करते हैं।

दोहा

कलियुग में महिमा तेरी, है माँ अपरम्पार।
धर्म की हानि हो रही, प्रगट हो अवतार॥

हे माँ, कलियुग में आपकी महिमा अपरंपार है। जब भी धर्म की हानि होती है, आप अवतार लेकर भक्तों की रक्षा करती हैं।

Stay Connected with Faith & Scriptures

"*" आवश्यक फ़ील्ड इंगित करता है

declaration*
यह फ़ील्ड सत्यापन उद्देश्यों के लिए है और इसे अपरिवर्तित छोड़ दिया जाना चाहिए।