
सरस्वती पूजा मंत्र का अर्थ
मंत्र:
“या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”
यह मंत्र देवी सरस्वती को समर्पित है, जो सभी प्राणियों में बुद्धि और ज्ञान के रूप में विद्यमान हैं। उन्हें बार-बार प्रणाम है। हम उनके चरणों में नतमस्तक होकर प्रार्थना करते हैं कि वे हमें ज्ञान और विवेक प्रदान करें।
सरस्वती वंदना का अर्थ
श्लोक:
“या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता,
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता,
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥”
- वह देवी जिनकी शोभा सफेद बर्फ और चंद्रमा के समान है, जो शुद्ध और शुभ्र वस्त्र धारण करती हैं।
- जिनके हाथों में वीणा शोभायमान है और जो श्वेत कमल पर विराजमान हैं।
- जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु, और महेश (अच्युत और शंकर) जैसे देवता भी सदा वंदना करते हैं।
- वे देवी सरस्वती हमारी रक्षा करें और हमारे मन से सभी प्रकार की जड़ता (अज्ञानता) का नाश करें।
श्लोक:
“शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं,
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्,
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥”
- वह देवी श्वेत रंग में, जो ब्रह्मज्ञान की सार हैं और जो पूरे ब्रह्मांड में व्याप्त हैं।
- जिनके हाथों में वीणा और पुस्तक है, जो अभयदान देती हैं और अज्ञान के अंधकार को दूर करती हैं।
- जो हाथ में स्फटिक की माला लिए हुए हैं और कमल के आसन पर विराजमान हैं।
- मैं उन परमेश्वरी भगवती शारदा की वंदना करता हूं, जो बुद्धि प्रदान करती हैं।
सरस्वती माता की आरती का अर्थ
1. जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।
सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥
अर्थ: हे सरस्वती माता, आप शुभ गुणों और वैभव से युक्त हैं। तीनों लोकों में आपकी ख्याति है।
2. चन्द्रवदनि पद्मासिनि, द्युति मंगलकारी।
सोहे शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी॥
अर्थ: आप चंद्रमा के समान उज्ज्वल मुखवाली हैं और कमल पर विराजमान हैं। आपकी दिव्य ज्योति मंगलकारी है और आप हंस की सवारी करती हैं।
3. बाएं कर में वीणा, दाएं कर माला।
शीश मुकुट मणि सोहे, गल मोतियन माला॥
अर्थ: आपके बाएं हाथ में वीणा और दाएं हाथ में माला है। आपके सिर पर मुकुट और गले में मोतियों की माला सुशोभित है।
4. देवी शरण जो आए, उनका उद्धार किया।
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया॥
अर्थ: जो भी आपकी शरण में आया, आपने उसका उद्धार किया। आपने मंथरा जैसी दुष्ट बुद्धियों को सुधार दिया और दुष्टता का नाश किया।
5. विद्या ज्ञान प्रदायिनि, ज्ञान प्रकाश भरो।
मोह अज्ञान और तिमिर का, जग से नाश करो॥
अर्थ: हे विद्या और ज्ञान की देवी, हमारे मन में प्रकाश भरो। मोह, अज्ञान, और अंधकार को इस संसार से नष्ट करें।
6. धूप दीप फल मेवा, माँ स्वीकार करो।
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो॥
अर्थ: हे माँ, हमारा अर्पित धूप, दीप, फल और मेवा स्वीकार करें। हमें ज्ञान का दृष्टि प्रदान करें और इस संसार को पार लगाएं।
7. माँ सरस्वती की आरती, जो कोई जन गावे।
हितकारी सुखकारी, ज्ञान भक्ति पावे॥
अर्थ: जो भी भक्त आपकी आरती गाएगा, उसे सुख और ज्ञान प्राप्त होगा और उसका जीवन हितकारी बनेगा।
सरस्वती पूजा करने के लाभ
बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति:
माता सरस्वती की पूजा से मानसिक क्षमता और ज्ञान में वृद्धि होती है। यह विद्या और विवेक का मार्ग प्रशस्त करती है।- मानसिक शांति और एकाग्रता:
पूजा के दौरान मंत्रोच्चारण और ध्यान से मन शांत होता है, जिससे एकाग्रता और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ती है। - रचनात्मकता में निखार:
देवी सरस्वती कला और संगीत की देवी हैं। उनकी आराधना से रचनात्मकता और कला कौशल में सुधार होता है। - अज्ञानता और आलस्य का नाश:
पूजा से मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो आलस्य और अज्ञान को दूर करता है। - संचार कौशल में सुधार:
देवी सरस्वती वाणी की देवी हैं। उनकी कृपा से व्यक्ति के बोलने और संवाद कौशल में निखार आता है। - परीक्षा और प्रतियोगिता में सफलता:
विद्यार्थी और प्रतियोगिता में भाग लेने वाले लोग पूजा के माध्यम से सफलता और आत्मविश्वास प्राप्त कर सकते हैं। - आध्यात्मिक उन्नति:
सरस्वती पूजा व्यक्ति को आत्मज्ञान और ब्रह्मज्ञान की ओर ले जाती है, जिससे आध्यात्मिक विकास होता है। - परिवार में सुख-शांति:
सामूहिक रूप से पूजा करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि का वातावरण बनता है। - सकारात्मक सोच और आत्मबल:
पूजा से नकारात्मकता का नाश होता है और आत्मबल बढ़ता है, जिससे जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण आता है। विद्या और संस्कारों की वृद्धि:
पूजा करने से परिवार के बच्चों में विद्या और अच्छे संस्कार विकसित होते हैं, जो उनके उज्ज्वल भविष्य का आधार बनते हैं।