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Makar Sankranti 2025 | मकर संक्रांति पर क्या करें? | PDF

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मकर संक्रांति का महत्व

मकर संक्रांति केवल एक खगोलीय घटना नहीं है, बल्कि इसका गहरा सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक महत्व है। यह दिन सूर्य देव की उपासना का दिन है, क्योंकि यह सूर्य की उत्तरायण गति की शुरुआत का प्रतीक है।

पौराणिक कथा
मकर संक्रांति के साथ कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। एक प्रमुख कथा के अनुसार, इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने जाते हैं, जो मकर राशि के स्वामी हैं। यह पिता-पुत्र के संबंधों को सम्मान देने का प्रतीक है। दूसरी कथा महाभारत से जुड़ी है, जिसमें भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति का दिन चुना था, क्योंकि इसे मोक्ष प्राप्ति का शुभ दिन माना जाता है।

मकर संक्रांति की तिथि

मकर संक्रांति हर वर्ष 14 जनवरी को मनाई जाती है। यह पर्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक है, जिसे सूर्य संक्रांति भी कहा जाता है।

मकर संक्रांति कैसे मनाई जाती है?

भारत के अलग-अलग राज्यों में मकर संक्रांति के उत्सव का तरीका भिन्न है। इस दिन का मुख्य आकर्षण पतंगबाजी, तिल-गुड़ का सेवन, और धार्मिक स्नान है।

1. धार्मिक स्नान और दान

मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों, जैसे गंगा, यमुना, और नर्मदा में स्नान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। यह पापों से मुक्ति और आत्मशुद्धि का प्रतीक है। लोग इस दिन दान-पुण्य भी करते हैं, विशेषकर अन्न, वस्त्र, तिल, और गुड़ का दान।

2. तिल और गुड़ का महत्व

तिल और गुड़ मकर संक्रांति के प्रमुख भोजन हैं। तिल से बनी मिठाइयां, जैसे तिलकुट, लड्डू, और चक्की, इस दिन विशेष रूप से बनाई जाती हैं। तिल और गुड़ एकता और मिठास के प्रतीक हैं और यह संदेश देते हैं कि सभी को आपसी मतभेद भुलाकर साथ रहना चाहिए।

3. पतंगबाजी

गुजरात और राजस्थान में मकर संक्रांति का मुख्य आकर्षण पतंगबाजी है। आसमान में रंग-बिरंगी पतंगें उड़ती हैं और “काई पो चे” और “ये काटा” जैसे नारे गूंजते हैं। पतंगबाजी एकता और आनंद का प्रतीक है और इसे सूर्य देव की आराधना का एक तरीका माना जाता है।

4. खेल और नृत्य

तमिलनाडु में पोंगल के रूप में मनाए जाने वाले इस पर्व में बैल दौड़, जिसे “जल्लीकट्टू” कहा जाता है, आयोजित की जाती है। वहीं, पंजाब में लोहड़ी के दौरान लोग अलाव जलाते हैं और गिद्दा-भंगड़ा करते हैं।

मकर संक्रांति पर क्या करें और क्या न करें?

क्या करें:
  1. स्नान और ध्यान:
    पवित्र नदियों में स्नान करें और भगवान सूर्य को अर्घ्य दें।
  2. दान-पुण्य करें:
    तिल, गुड़, अन्न, और कपड़ों का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  3. सकारात्मक सोच रखें:
    इस दिन अपने घर और परिवार में खुशहाली और प्रेम बनाए रखने का प्रयास करें।
  4. त्योहार का आनंद लें:
    पारंपरिक भोजन, पतंगबाजी, और लोक नृत्य में भाग लें।
क्या न करें:
  1. नकारात्मकता से बचें:
    गुस्सा, झगड़ा, या कटु शब्दों का प्रयोग करने से बचें।
  2. अनुचित आहार न लें:
    त्योहार पर शुद्ध और सात्विक भोजन करें। मांस और शराब का सेवन करने से बचें।
  3. दूसरों को नुकसान न पहुंचाएं:
    पतंग उड़ाने के दौरान सावधानी बरतें, ताकि कोई घायल न हो।

मकर संक्रांति का वैज्ञानिक पहलू

खगोलीय दृष्टिकोण से, मकर संक्रांति का संबंध पृथ्वी की कक्षीय गति और सूर्य की स्थिति से है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, जिससे दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं। यह दिन गर्मी के आगमन का संकेत देता है और कृषि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

मकर संक्रांति और कृषि

मकर संक्रांति किसानों के लिए विशेष महत्व रखती है, क्योंकि यह नई फसल के आगमन का प्रतीक है। इस समय धान, गन्ना, और तिल जैसी फसलें तैयार होती हैं, और किसान इस दिन अपनी मेहनत का जश्न मनाते हैं।

मकर संक्रांति केवल एक पर्व नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति का एक प्रतीक है। यह त्योहार हमें प्रकृति, परिवार, और समाज के प्रति आभार व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है। तिल-गुड़ की मिठास और पतंगबाजी के आनंद के साथ, यह पर्व हमें जीवन में खुशियों और सकारात्मकता का संदेश देता है।

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