
मासिक शिवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार है, जो भगवान शिव को समर्पित होता है। यह हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी (अमावस्या से पहले की रात) को मनाया जाता है। इसे ‘शिव और शक्ति' के मिलन की रात माना जाता है। इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से मनुष्य को मानसिक शांति, पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
शिवरात्रि का महत्व
- आध्यात्मिक शुद्धि: शिवरात्रि को आत्मा की शुद्धि और आत्मज्ञान का प्रतीक माना जाता है। इसे भगवान शिव और देवी शक्ति के मिलन का पर्व भी कहते हैं।
- पापों से मुक्ति: ऐसा माना जाता है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने से व्यक्ति अपने जीवन के सभी पापों से मुक्त हो सकता है।
- मोक्ष प्राप्ति: भगवान शिव को प्रसन्न करके व्यक्ति मोक्ष की ओर अग्रसर होता है।
- संकटों का नाश: इस दिन भगवान शिव का ध्यान और पूजा सभी प्रकार के कष्टों और परेशानियों को दूर करता है।
- मानसिक शांति: शिव उपासना और ध्यान करने से मानसिक शांति और आंतरिक शक्ति का अनुभव होता है।
मासिक शिवरात्रि अक्टूबर 2025 में 19 तारीख को मनाई जाएगी। इस दिन भक्त भगवान शिव की पूजा-अर्चना, व्रत और रात्रि जागरण करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं।
मासिक शिवरात्रि व्रत कथा
प्राचीन समय चित्रभानु नामक एक शिकारी था। वह रोज जंगल में जाकर शिकार करता और ऐसे ही अपने परिवार का पालन-पोषण करता था। चित्रभानु उसी नगर में रहने वाले एक साहूकार का कर्जदार भी था और आर्थिक तंगी के कारण ऋण नहीं चुका पा रहा था। एक दिन साहूकार ने गुस्से में आकर चित्रभानु को शिव मठ में बंदी बना लिया। संयोग से उसी दिन मासिक शिवरात्रि थी।…..आगे पढ़े
मासिक शिवरात्रि की पूजा विधि
मासिक शिवरात्रि के दिन पूजा विधि का पालन बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन को सही तरीके से मनाने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:
1. स्नान और शुद्धिकरण
- प्रातःकाल जल्दी उठकर गंगा जल या शुद्ध जल से स्नान करें।
- स्वच्छ वस्त्र पहनें और भगवान शिव की पूजा करने का संकल्प लें।
2. व्रत का संकल्प
- शिव मंदिर में जाएं या घर पर शिवलिंग की स्थापना करें।
- भगवान शिव के सामने व्रत का संकल्प लें और पूरे दिन उपवास करें।
- व्रत में फल, दूध और निर्जल उपवास कर सकते हैं, अपनी क्षमता के अनुसार।
3. शिवलिंग का अभिषेक
- भगवान शिव को जल, दूध, दही, शहद, घी और गंगा जल से अभिषेक करें। इसे पंचामृत अभिषेक कहते हैं।
- अभिषेक करते समय “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
4. पुष्प और बिल्व पत्र चढ़ाना
- भगवान शिव को सफेद फूल, धतूरा, आक, और विशेष रूप से बिल्व पत्र अर्पित करें।
- बिल्व पत्र शिवजी को अर्पित करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
5. धूप, दीप और आरती
- भगवान शिव के सामने दीपक जलाएं और धूप अर्पित करें।
- शिव आरती और भजन गाएं, जैसे “जय शिव ओमकारा”।
6. मंत्र जाप
- शिव मंत्रों का जाप करें। विशेष रूप से “महामृत्युंजय मंत्र” और “ॐ नमः शिवाय” का 108 बार जाप करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
- यह जाप मानसिक शांति और शक्ति प्रदान करता है।
7. रात्रि जागरण
- रातभर जागकर भगवान शिव की पूजा और ध्यान करें।
- शिव महापुराण का पाठ करें या शिव भजन गाएं।
8. प्रसाद वितरण
- पूजा के बाद प्रसाद बांटें और जरूरतमंदों को भोजन और कपड़े दान करें।
मासिक शिवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व
- ध्यान और साधना: इस दिन ध्यान और साधना करने से आंतरिक शांति और आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है।
- शिव और शक्ति का मिलन: यह पर्व शिव और शक्ति के अद्वितीय मिलन का प्रतीक है।
- कर्मों का फल: शिव उपासना से व्यक्ति को उसके कर्मों का उचित फल प्राप्त होता है।
- सकारात्मक ऊर्जा का संचार: भगवान शिव की आराधना से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति का संचार होता है।
शिवरात्रि के अन्य लाभ
- व्यापार में उन्नति और धन की प्राप्ति।
- परिवार में सुख-शांति और समृद्धि।
- शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार।
विशेष बातें
- मासिक शिवरात्रि का व्रत करने वाले व्यक्ति को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
- मन, वचन और कर्म से शुद्ध रहना चाहिए।
- भगवान शिव को मांस, मदिरा और तमसिक वस्तुएं अर्पित नहीं करनी चाहिए।
मासिक शिवरात्रि का व्रत और पूजा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि आध्यात्मिक और मानसिक शांति के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह दिन भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का श्रेष्ठ अवसर है। यदि व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति से मासिक शिवरात्रि का पालन करता है, तो उसे निश्चित रूप से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।






