Shri Shani Aarti
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी ॥
अर्थ – हे शनिदेव ! आप हमेशा सबके भले के लिए ही सोचते हैं। आपकी जय हो, जय हो ! हे प्रभु ! आप सूर्य देव के पुत्र हैं और छाया आपकी माता है।
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी ।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी ॥
अर्थ – यह शनिदेव ! आपका श्री कृष्ण जैसा रंग है। आपकी दृष्टि बड़ी वक्र और तेज है। आपने अपनी चारों भुजाओं में अस्त्र शस्त्र धारण कर रखे हैं। हे नाथ ! आप नीले वस्त्र धारण करते हैं और कौवे की सवारी करते हैं।
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी ।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी ॥
अर्थ – हे शनिदेव ! आपके सिर पर अति सुंदर मुकुट सजा हुआ है। और आपके गले में मोतियों की माला है। जो आपके गले की शोभा बढ़ा रही है।
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी ।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी ॥
अर्थ – हे शनिदेव ! आपको लड्डू की मिठाई, पान और सुपारी चढ़ाए जाते हैं। और आपको सबसे प्यारी लगने वाले लोहा, काला तिल, सरसों का तेल, उड़द की दाल भी आप को चढ़ाए जाते हैं।
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी ।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी ॥
अर्थ – हे शनिदेव ! सभी देवता, दानव, ऋषि मुनि, नर और नारी सभी आपका ध्यान करते हैं। हे शनिदेव ! विश्वनाथ जी आपका ध्यान करते हैं। और आप की शरण में रहना चाहते हैं।
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