
यह मंत्र भगवान विष्णु की शांति, सौम्यता, और उनकी अद्वितीय महिमा का वर्णन करता है। इसमें उनके दिव्य स्वरूप, शक्ति, और भक्तों पर उनकी कृपा का उल्लेख किया गया है। नीचे मंत्र का हिंदी में अर्थ दिया गया है:
॥ विष्णु शांताकारं मंत्र ॥
पहला भाग
शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं।
विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम्।
लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं।
वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम्॥
अर्थ: मैं भगवान विष्णु की वंदना करता हूँ, जिनका स्वभाव शांत है, जो शेषनाग पर शयन करते हैं। उनकी नाभि से कमल उत्पन्न होता है, वे सभी देवताओं के स्वामी हैं और समस्त विश्व के आधार हैं। उनका स्वरूप आकाश की तरह असीम और मेघों की तरह गहरा है, उनके अंग अत्यंत सुंदर और शुभ हैं। वे लक्ष्मी के प्रियतम हैं और उनके नेत्र कमल के समान हैं। योगीजन ध्यान में जिनका अनुभव करते हैं, वे ही भगवान विष्णु संसार के भय को हरने वाले और समस्त लोकों के स्वामी हैं।
दूसरा भाग
यं ब्रह्मा वरुणैन्द्रु रुद्रमरुत: स्तुन्वानि दिव्यै स्तवैवेदे:।
सांग पदक्रमोपनिषदै गार्यन्ति यं सामगा:।
ध्यानावस्थित तद्गतेन मनसा पश्यति यं योगिनो।
यस्यातं न विदु: सुरासुरगणा दैवाय तस्मै नम:॥
अर्थ: मैं उन भगवान विष्णु को नमन करता हूँ, जिनकी स्तुति ब्रह्मा, वरुण, इंद्र, रुद्र और मरुतगण दिव्य स्तोत्रों से करते हैं। वेद, उपनिषद और सामवेद भी जिनकी महिमा का गायन करते हैं। योगी अपने मन को स्थिर करके ध्यान के माध्यम से जिनका साक्षात्कार करते हैं। यहां तक कि देवता और असुर भी उनकी महिमा और स्वरूप का संपूर्ण ज्ञान नहीं प्राप्त कर सकते। ऐसे अद्वितीय, दिव्य और सर्वव्यापक भगवान विष्णु को मैं नमन करता हूँ।
मंत्र का सार
यह मंत्र भगवान विष्णु के शांति, सृजन और पालन के स्वरूप का वर्णन करता है। यह उनके प्रति समर्पण, भक्ति और आत्मिक जागरण का आह्वान करता है। भगवान विष्णु को समस्त भय और बंधनों को हरने वाला बताया गया है। इस मंत्र का नियमित जाप मन, शरीर और आत्मा को शांति प्रदान करता है और भक्त को मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर करता है।
मंत्र का महत्व
शांति और समर्पण: इस मंत्र का उच्चारण मन को शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
भय से मुक्ति: भगवान विष्णु का स्मरण जीवन के सभी प्रकार के भय और बाधाओं को दूर करता है।
आध्यात्मिक उन्नति: यह मंत्र व्यक्ति को आत्मिक उन्नति और ईश्वर से जुड़ाव की ओर ले जाता है।
भक्ति और श्रद्धा: इस मंत्र का पाठ करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में भक्ति का संचार होता है।
|| ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ||