दिवाली के बाद विश्वकर्मा दिवस बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है, खासकर उन लोगों द्वारा जो निर्माण, इंजीनियरिंग, और औद्योगिक कार्यों से जुड़े होते हैं।
कौन हैं भगवान विश्वकर्मा जी? आइए, जानते हैं।
भगवान विश्वकर्मा हिंदू धर्म में निर्माण, सृजन, और वास्तुकला के देवता माने जाते हैं। उन्हें संपूर्ण ब्रह्मांड का महान शिल्पकार और सृष्टि का निर्माता कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा ने ही देवताओं के महल, उनके दिव्य अस्त्र-शस्त्र और विभिन्न पौराणिक नगरों का निर्माण किया था।
भगवान विश्वकर्मा की कथाएं और योगदान:
- स्वर्ग लोक और देवताओं के महल: विश्वकर्मा जी ने इंद्र का स्वर्ग, भगवान शिव का कैलाश, और अन्य देवताओं के निवास स्थल बनाए। उनके शिल्पकला की बेजोड़ प्रतिभा के कारण उन्हें देवताओं का वास्तुकार माना गया।
- अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण: भगवान विश्वकर्मा ने विष्णु जी का सुदर्शन चक्र, शिव का त्रिशूल, इंद्र का वज्र, और पुष्पक विमान का निर्माण किया। ये सभी दिव्य अस्त्र-शस्त्र और उपकरण देवताओं की रक्षा और शक्ति का प्रतीक हैं।
- पौराणिक नगरों का निर्माण: उन्होंने कई दिव्य नगरों का निर्माण किया, जिनमें लंका (रावण की नगरी), द्वारका (भगवान कृष्ण की नगरी), और इंद्रप्रस्थ (पांडवों की नगरी) शामिल हैं। ये नगर उनके अद्वितीय वास्तुकला के ज्ञान और कला के उत्कृष्ट उदाहरण माने जाते हैं।
- उद्योग और निर्माण के देवता: भगवान विश्वकर्मा को उद्योग, तकनीकी कार्य, निर्माण और कला का प्रतीक माना जाता है। इंजीनियर, आर्किटेक्ट, और कारीगर विशेष रूप से भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं और उनसे अपने काम में कुशलता और सफलता की प्रार्थना करते हैं।
इस दिन का महत्व:
दिवाली के बाद विश्वकर्मा दिवस का आयोजन नई शुरुआत, समृद्धि, और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। लोग इस दिन भगवान विश्वकर्मा से आशीर्वाद प्राप्त कर अपने कार्यों में सफलता और सुरक्षा की कामना करते हैं।
विश्वकर्मा दिवस की पूजा विधि और परंपराएं:
- स्थान की सफाई और सजावट: कार्यस्थल, फैक्टरी, या उस जगह की सफाई की जाती है जहाँ मशीनें और औजार रखे जाते हैं। इसे फूलों, दीपों और रंगोली से सजाया जाता है।
- भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति की स्थापना: पूजा स्थल पर भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित की जाती है। इस स्थान को फूलों और दीपों से सजाया जाता है।
- औजारों और मशीनों की पूजा: इस दिन औजारों, मशीनों, और वाहनों पर तिलक लगाकर पूजा की जाती है। इसे एक आशीर्वाद की तरह देखा जाता है, जिससे कार्य में कुशलता और सुरक्षा बनी रहे।
- मंत्रोच्चारण और हवन: भगवान विश्वकर्मा के मंत्रों का उच्चारण किया जाता है और हवन का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें सुख, समृद्धि और कार्य की सफलता की कामना की जाती है।
- आरती और प्रसाद वितरण: पूजा के अंत में आरती की जाती है और प्रसाद का वितरण होता है। परिवार के सभी सदस्य और कर्मचारी प्रसाद ग्रहण करते हैं।
- काम से एक दिन का अवकाश: इस दिन मशीनों और औजारों को आराम दिया जाता है, और उनका प्रयोग नहीं किया जाता, इसे उपकरणों के प्रति सम्मान के रूप में देखा जाता है।
विष्णु पूजन मंत्र
ॐ विश्वकर्मणे नमः।
ॐ आधार शक्तपे नमः।
ॐ कृतज्ञ रूपाय नमः।
ॐ अर्चिताय नमः।
ॐ विशुद्धाय नमः।
वास्तुदेव पूजन मंत्र
ॐ वास्तुदेवाय नमः।
ॐ भूमि नमस्ते सर्वपूजिते।
त्वया धृता च देवि त्वं।
विष्णुना धारिता मया।
विष्णु पूजन आह्वान
ॐ श्रीं श्रीं विश्वकर्मणे स्वाहा।
ॐ कमलासनाय नमः।
ॐ स्तम्भाधिष्ठिताय नमः।
ॐ धर्माधिष्ठानाय नमः।
हे भगवान विश्वकर्मा, आप सृष्टि के रचयिता हैं, सभी यंत्रों और उपकरणों के स्वामी हैं। कृपया हमें अपने आशीर्वाद से समृद्ध करें और हमारे कार्यों में सफलता प्रदान करें। हम आपकी पूजा करते हैं ताकि हमें कुशलता और सुरक्षा प्राप्त हो। जय विश्वकर्मा देव।
इस प्रकार, विश्वकर्मा दिवस को मेहनतकश लोगों के लिए एक प्रेरणादायक दिन के रूप में मनाया जाता है।