
भगवान गणेश को समर्पित अखुरथ संकष्टी चतुर्थी हिंदू धर्म में अत्यधिक पवित्र और महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। यह दिन हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। विशेष रूप से मार्गशीर्ष (अगहन) महीने में आने वाली संकष्टी चतुर्थी को ‘अखुरथ’ कहा जाता है। भगवान गणेश को ‘अखुरथ’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे बिना रथ के भी अपने भक्तों तक पहुंच सकते हैं। यह व्रत और पूजा भक्तों के संकटों को दूर करने, जीवन में खुशहाली लाने और सभी बाधाओं को नष्ट करने के लिए किया जाता है।
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी 2024 की तिथि
इस वर्ष 2024 में यह शुभ तिथि बुधवार, 18 दिसंबर 2024 को पड़ रही है। मार्गशीर्ष (अगहन) मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित है, जिन्हें विघ्नहर्ता और संकटमोचक कहा जाता है।
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का महत्व
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का नाम ही इस दिन के महत्व को समझाता है। ‘संकष्टी’ का अर्थ होता है संकट को दूर करने वाला, और भगवान गणेश को विघ्नहर्ता माना जाता है, जो हर प्रकार की बाधा और संकट को दूर करते हैं। इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से:
- संकटों का निवारण: यह व्रत भक्तों के जीवन में आने वाले कठिन समय को दूर करने में सहायक होता है। माना जाता है कि भगवान गणेश इस दिन अपने भक्तों को आशीर्वाद देकर उनके जीवन में नई ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार करते हैं।
- पापों का नाश: इस दिन किए गए व्रत और पूजा से व्यक्ति अपने पिछले जीवन और इस जीवन के पापों से मुक्ति पा सकता है। गणेश जी की कृपा से व्यक्ति अपने जीवन को सुधारने का एक नया मौका पाता है।
- सुख-समृद्धि: भगवान गणेश को समृद्धि और धन के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। उनकी पूजा से जीवन में शांति, समृद्धि और स्थायित्व आता है।
- परिवार की खुशहाली: यह दिन परिवार में एकता और प्रेम को बनाए रखने का भी प्रतीक है। परिवार के सभी सदस्य एक साथ पूजा करते हैं और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा विधि विशेष होती है। यह पूजा श्रद्धा और भक्ति के साथ की जाती है। इस दिन निम्नलिखित विधियों से पूजा करनी चाहिए:
- स्नान और स्वच्छता: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। गणेश जी की मूर्ति या चित्र को साफ करें।
- व्रत का संकल्प: पूजा से पहले व्रत का संकल्प लें। यह व्रत सूर्योदय से चंद्रोदय तक रखा जाता है। इसमें निर्जला व्रत (बिना जल ग्रहण किए) रखना शुभ माना जाता है, लेकिन आवश्यकता अनुसार फलाहार भी किया जा सकता है।
- संकष्टी कथा: पूजा के दौरान अखुरथ संकष्टी चतुर्थी की कथा पढ़ना या सुनना अनिवार्य माना जाता है। इस कथा के माध्यम से भगवान गणेश की कृपा और उनकी महानता का वर्णन किया जाता है।
- चंद्र दर्शन और अर्घ्य: पूजा के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत समाप्त करें। यह प्रक्रिया संकष्टी चतुर्थी के व्रत का सबसे महत्वपूर्ण भाग है। चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करते समय गणेश जी का ध्यान करें और उनसे अपने कष्टों के निवारण की प्रार्थना करें।
गणेश पूजा
- गणेश जी को फूल, दूर्वा (दूब घास), मोदक, गुड़ और नारियल अर्पित करें।
- दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
- भगवान गणेश के मंत्रों का जाप करें। सबसे प्रसिद्ध मंत्र है: “ओं गण गणपतये नमः”
- भगवान गणेश को लाल चंदन का तिलक लगाएं।
इस दिन क्या करें?
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के दिन कुछ विशेष कार्य करने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है।
- गणेश जी के मंत्रों का जाप: गणेश मंत्रों का जाप करना इस दिन अति शुभ होता है। आप “ओं गणेशाय नमः” या “ओं क्लीं गणपते नमः” मंत्रों का 108 बार जाप कर सकते हैं।
- दान: जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, और धन का दान करें। गरीबों को भोजन कराना और गाय को हरा चारा खिलाना विशेष फलदायी होता है।
- व्रत और ध्यान: दिन भर उपवास करें और भगवान गणेश का ध्यान करें। दिन में किसी भी प्रकार की नकारात्मकता से बचें और शांति बनाए रखें।
- पारिवारिक पूजा: परिवार के सभी सदस्यों को साथ लेकर गणेश जी की पूजा करें। इससे पारिवारिक एकता और प्रेम बढ़ता है।
इस दिन क्या न करें?
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी पर कुछ कार्यों से बचना चाहिए।
- अशुद्धता: पूजा से पहले स्नान करना अनिवार्य है। बिना नहाए पूजा करना अशुभ माना जाता है।
- मांसाहार: इस दिन मांसाहार और मद्यपान पूरी तरह से वर्जित है। तामसिक भोजन का सेवन न करें।
- झूठ और विवाद: झूठ बोलने और किसी से विवाद करने से बचें। यह दिन शांति और संयम बनाए रखने का है।
- व्रत भंग करना: बिना चंद्र दर्शन किए व्रत को तोड़ना अशुभ माना जाता है। यदि संभव हो, तो पूरे विधि-विधान के साथ व्रत का पालन करें।
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी की कथा
इस दिन भगवान गणेश से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं सुनाई जाती हैं। इनमें से एक प्रमुख कथा निम्नलिखित है:
कथा
प्राचीन काल में एक राजा था, जिसका नाम चिंतक था। उसके राज्य में लोग कई प्रकार की समस्याओं से परेशान थे। राजा ने अपने राज्य की समस्याओं का समाधान पाने के लिए ऋषियों से परामर्श लिया। ऋषियों ने उन्हें अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने की सलाह दी। राजा ने इस व्रत का पालन किया और भगवान गणेश की कृपा से उनके राज्य में सभी समस्याएं समाप्त हो गईं।
इस कथा से यह संदेश मिलता है कि भगवान गणेश की आराधना और व्रत से व्यक्ति को संकटों से मुक्ति और जीवन में सुख-शांति प्राप्त होती है।
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने का एक विशेष अवसर है। इस दिन भक्तगण अपनी भक्ति और श्रद्धा से भगवान गणेश की आराधना करते हैं और उनसे अपने जीवन की समस्याओं के निवारण की प्रार्थना करते हैं। यह दिन जीवन में सकारात्मकता, शांति, और समृद्धि लाने का प्रतीक है। यदि इस दिन विधिपूर्वक व्रत और पूजा की जाए, तो भगवान गणेश की कृपा से सभी संकट और बाधाएं दूर हो जाती हैं। इस पवित्र दिन का पालन कर आप भी अपने जीवन को बेहतर और सुखद बना सकते हैं।