
श्रीगंगा सप्तमी क्या है?
श्रीगंगा सप्तमी हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन मां गंगा के पृथ्वी पर अवतरित होने की स्मृति में मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन गंगा जी स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं ताकि राजा भगीरथ के पूर्वजों का उद्धार हो सके।
गंगा सप्तमी की तिथि व मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, 03 मई 2025 को सुबह 07:51 बजे से वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि आरंभ होगी, जो कि 04 मई को सुबह 04:18 बजे समाप्त होगी।
सनातन परंपरा के अनुसार उदया तिथि को ही मान्यता दी जाती है, इसलिए गंगा सप्तमी का पर्व 03 मई को मनाया जाएगा।
गंगा स्नान का शुभ मुहूर्त:
03 मई को सुबह 10:58 से दोपहर 01:38 तक
गंगा अवतरण की पौराणिक कथा
पुराणों के अनुसार, सूर्यवंश के राजा सागर ने एक बार अश्वमेध यज्ञ किया, लेकिन इंद्रदेव ने उनका यज्ञ अश्व चुरा लिया और उसे कपिल मुनि के आश्रम में बांध दिया। राजा सगर के 60,000 पुत्र जब अश्व को खोजते हुए वहां पहुंचे, तो उन्होंने कपिल मुनि पर अश्व चुराने का आरोप लगाया। मुनि की तपस्या भंग हुई और उन्होंने क्रोधित होकर उन सभी को भस्म कर दिया।
जब ये बात राजा को पता चली, तो उन्होंने उनके उद्धार का उपाय खोजने के लिए कई यज्ञ किए। लेकिन यह कार्य पूरा किया राजा भगीरथ ने। उन्होंने कठोर तप किया और गंगा माता को पृथ्वी पर लाने का वरदान प्राप्त किया।
भगवान शिव ने गंगा को अपनी जटाओं में समाहित करके धीरे-धीरे पृथ्वी पर प्रवाहित किया ताकि उसकी तेज धारा से पृथ्वी को कोई नुकसान न हो। अंततः, गंगा ने राजा सगर के पुत्रों के भस्म अवशेषों को छूकर उन्हें मोक्ष प्रदान किया।
गंगा सप्तमी का आध्यात्मिक महत्व
गंगा सप्तमी का आध्यात्मिक महत्व अत्यंत विशेष है। यह दिन पापों के शमन और मोक्ष प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है। गंगा जल को अमृत के समान पवित्र माना गया है, जो न केवल तन और मन को, बल्कि आत्मा को भी शुद्ध करता है। ऐसी मान्यता है कि इस पावन तिथि पर गंगा स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। जो लोग गंगा नदी के तट पर नहीं पहुंच सकते, वे अपने घर पर स्नान करते समय जल में थोड़ी मात्रा में गंगाजल मिलाकर स्नान करके भी पुण्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
गंगा सप्तमी के विशेष शुभ योग
इस पावन तिथि पर अनेक दुर्लभ योगों का संगम हो रहा है:
- त्रिपुष्कर योग
- रवि योग
- शिववास योग
इन योगों में किए गए गंगा स्नान और पूजा-पाठ से साधक को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है।
रवि योग में स्नान करने से जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है, वहीं शिववास योग में स्नान कर शिव पूजन करने से सौभाग्य, सुख और समृद्धि में वृद्धि होती है।
घर पर श्रीगंगा सप्तमी की पूजा विधि
यदि आप गंगा घाट नहीं जा सकते, तो घर पर ही शुद्ध मन और श्रद्धा से गंगा सप्तमी की पूजा कर सकते हैं। इसके लिए कुछ आवश्यक पूजन सामग्री की व्यवस्था करें, जैसे गंगाजल (यदि उपलब्ध न हो तो श्रद्धा से लाया गया जल भी मान्य है), तांबे का लोटा या पात्र, सफेद पुष्प (विशेष रूप से कमल या बेल पत्र), दीपक, धूप, कपूर, रोली, अक्षत, चंदन, दूध, शहद, दही (स्नान हेतु), फल, मिठाई, और गंगा माता की तस्वीर या जल पात्र को ही प्रतीक मानकर स्थापना करें।
पूजा की विधि इस प्रकार है: सबसे पहले स्नान करें, जिसमें एक बाल्टी पानी में कुछ बूंदें गंगाजल मिलाएं और उसी जल से स्नान करें। इसके बाद घर के किसी पवित्र स्थान पर पूजा की तैयारी करें और गंगा माता का चित्र या गंगाजल से भरा पात्र रखें। दीप प्रज्वलित करें और गंगाजल के पात्र को शुद्ध जल से स्नान कराएं। फिर गंगा माता के मंत्रों का जाप करें —
“ॐ नमो भगवत्यै गंगे त्रैलोक्य-तारिण्यै नारायण्यै नमः।”
या
“गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिन्धु कावेरी जलस्मिन्सन्निधिं कुरु॥”
इसके बाद गंगा माता को दूध, दही और शहद से स्नान कराएं और अंत में शुद्ध जल से अभिषेक करें। फिर पुष्प, रोली, अक्षत और फल अर्पित करें, “जय गंगे माता” आरती करें और दीप जलाएं। पूजा पूर्ण होने के बाद प्रसाद वितरित करें और घर में गंगाजल का छिड़काव करें। अंत में तर्पण और दान करें — जैसे तांबे के बर्तन, वस्त्र, अन्न या धन का दान करना विशेष पुण्यकारी माना गया है।
गंगा सप्तमी पर विशेष कार्य और लाभ
| कार्य | लाभ |
|---|---|
| गंगा स्नान या गंगाजल से स्नान | पाप शुद्धि और मानसिक शांति |
| पितरों का तर्पण | पितृदोष मुक्ति |
| शिव और गंगा पूजन | सभी दोषों से मुक्ति |
| गंगा स्तोत्र/अष्टकम का पाठ | आध्यात्मिक उन्नति |
| गंगा जल घर में छिड़कना | वास्तु दोष शांति |
| दान-पुण्य | अक्षय फल प्राप्ति |
| दीपदान | आत्मशुद्धि और नकारात्मकता से मुक्ति |
गंगा सप्तमी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि संस्कारों, पवित्रता और आस्था का उत्सव है। यह दिन हमें यह स्मरण कराता है कि हमारी संस्कृति में जल, विशेष रूप से गंगा जल को देवता के समान माना गया है। मां गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि जीवनदायिनी और मोक्षदायिनी देवी हैं, जिनकी कृपा से व्यक्ति इस लोक और परलोक दोनों में कल्याण प्राप्त करता है।
🙏 गंगा मैया की जय हो! हर हर गंगे!🙏






