
कामदा सप्तमी व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र व्रतों में से एक माना जाता है। यह व्रत चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि, संतान सुख और समस्त इच्छाओं की पूर्ति होती है। ‘कामदा’ शब्द का अर्थ होता है ‘इच्छाओं की पूर्ति करने वाला’, और यह व्रत विशेष रूप से मनोकामनाओं की सिद्धि के लिए रखा जाता है।
कामदा सप्तमी व्रत का महत्व
इस व्रत का उल्लेख कई धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत के प्रभाव से भक्तों को सुख, ऐश्वर्य, संतान प्राप्ति और सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत विशेष रूप से उन दंपतियों के लिए शुभ माना जाता है जिन्हें संतान सुख की प्राप्ति नहीं हो रही हो।
कामदा सप्तमी व्रत कथा
पुराणों के अनुसार, एक बार एक राजा की कोई संतान नहीं थी। उन्होंने कई व्रत और पूजा-अर्चना की, लेकिन संतान प्राप्ति नहीं हुई। तब एक ऋषि ने उन्हें कामदा सप्तमी व्रत करने का सुझाव दिया। राजा और उनकी रानी ने इस व्रत को पूरी श्रद्धा से रखा और भगवान विष्णु और सूर्य देव की आराधना की। इसके प्रभाव से उन्हें एक तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति हुई। इस कथा से यह स्पष्ट होता है कि यह व्रत विशेष रूप से संतान प्राप्ति और समस्त इच्छाओं की पूर्ति के लिए किया जाता है।
कामदा सप्तमी व्रत की पूजा विधि
कामदा सप्तमी व्रत को विधिपूर्वक करने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं। इस व्रत को करने के लिए निम्नलिखित विधि अपनाई जाती है:
1. प्रातःकाल स्नान और संकल्प:
- इस दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- सूर्य देव और भगवान विष्णु की आराधना का संकल्प लें।
2. व्रत का नियम:
- व्रतधारी को दिनभर उपवास रखना चाहिए। यदि पूर्ण उपवास संभव न हो, तो फलाहार लिया जा सकता है।
- सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए और किसी भी प्रकार के तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
3. पूजा विधि:
- एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और सूर्य देव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- भगवान को पीले फूल, अक्षत (चावल), धूप-दीप, चंदन और तुलसी पत्र अर्पित करें।
- गंगाजल और पंचामृत से भगवान विष्णु का अभिषेक करें।
- भोग में गुड़, तिल, चावल और गाय के दूध से बनी खीर अर्पित करें।
4. सूर्य देव को अर्घ्य:
- इस दिन सूर्य देव को जल चढ़ाना बहुत शुभ माना जाता है।
- तांबे के लोटे में जल, लाल फूल और गुड़ डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- इस दौरान “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें।
5. मंत्र जाप:
कामदा सप्तमी व्रत के दिन निम्नलिखित मंत्रों का जाप करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं:
भगवान विष्णु के लिए मंत्र:
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः।
ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्।
आरती और प्रसाद वितरण
- भगवान विष्णु और सूर्य देव की आरती करें।
- परिवार के सदस्यों और ब्राह्मणों को प्रसाद वितरित करें।
सूर्य देव के लिए मंत्र:
ॐ घृणिः सूर्याय नमः।
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः।
ॐ आदित्याय च विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्यः प्रचोदयात्।
कामदा सप्तमी व्रत के लाभ
- इस व्रत के प्रभाव से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
- दांपत्य जीवन में सुख और शांति बनी रहती है।
- जो लोग संतान सुख से वंचित हैं, उन्हें इस व्रत को करने से संतान की प्राप्ति होती है।
- सूर्य देव की कृपा से व्यक्ति को आरोग्य, तेजस्विता और मान-सम्मान प्राप्त होता है।
- सभी प्रकार के पापों और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
कामदा सप्तमी व्रत का पारण
- व्रत का पारण अगले दिन सुबह पूजा करके और ब्राह्मणों को भोजन कराकर किया जाता है।
- इसके बाद स्वयं फलाहार या सात्विक भोजन ग्रहण किया जाता है।
कामदा सप्तमी व्रत जीवन में सुख-समृद्धि, संतान सुख और मनोकामना पूर्ति के लिए किया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान विष्णु और सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने के लिए रखा जाता है। यदि इसे श्रद्धा और नियमपूर्वक किया जाए तो सभी प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिलती है और जीवन में उन्नति होती है।