maa-brahmacharini-stotra

Maa Brahmacharini Stotra

॥ ध्यान ॥

वन्दे वांच्छितलाभायचन्द्रर्घकृतशेखराम्।
जपमालाकमण्डलुधराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥

मैं मनोवांछित लाभ प्राप्त करने के लिए, अपने मस्तक पर अर्ध चंद्र धारण करने वाली तथा हाथों में जपमाला व कमंडल लिए हुए ब्रह्मचारिणी माता, की वंदना करता हूँ।

गौरवर्णास्वाधिष्ठानास्थितांद्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
धवल परिधानांब्रह्मरूपांपुष्पालंकारभूषिताम्॥

ब्रह्मचारिणी माता का रंग गौरा है और वे स्वाधिष्ठान चक्र को मजबूत करने का कार्य करती हैं। वे नवदुर्गा का द्वितीय रूप हैं जिनकी तीन आँखें हैं। वे स्वच्छ व उजले हुए वस्त्रों को धारण करती हैं, वे साक्षात ब्रह्म रूप हैं और वे कमल पुष्पों से अपना अलंकार करती हैं अर्थात कमल पुष्प ही उनके आभूषण हैं।

पद्मवंदनापल्लवाराधराकातंकपोलांपीन पयोधराम्।
कमनीयांलावण्यांस्मेरमुखीनिम्न नाभि नितम्बनीम्॥

मैं ब्रह्मचारिणी माता के चरणों की वंदना करता हूँ और वे हम सभी को आनंद प्रदान करती हैं। उनका रूप बहुत ही सुन्दर व आनंद प्रदान करने वाला है। मैं उनके चरणों का जल अमृत समझ कर पीता हूँ। उनका मुख कमनीय व सौंदर्य से युक्त है जिस पर स्नेह के भाव हैं।

॥ स्तोत्र ॥

तपश्चारिणीत्वंहितापत्रयनिवारिणीम्।
ब्रह्मरूपधराब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

ब्रह्मचारिणी माता हमेशा तपस्या में लीन रहने वाली देवी हैं और वही उनका आचरण भी है। वे हमारे हितों की रक्षा करती हैं और दुखों का निवारण कर देती हैं। वे ही साक्षात ब्रह्म का रूप हैं जिन्होंने ब्रह्मचारिणी के रूप में हमें दर्शन दिए हैं। मैं ब्रह्मचारिणी माता को प्रणाम करता हूँ।

नवचक्रभेदनी त्वंहिनवऐश्वर्यप्रदायनीम्।
धनदासुखदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

वे हमारे शरीर के नौ चक्रों का भेद कर देती हैं अर्थात नौ चक्रों को जागृत करने का रहस्य उन्हीं के पास है। वे ही हमें इस विश्व में यश व वैभव प्रदान करने का कार्य करती हैं। हमें धन व सुख प्रदान करने वाली ब्रह्मचारिणी माता को मैं नमस्कार करता हूँ।

शंकरप्रियात्वंहिभुक्ति-मुक्ति दायिनी।
शान्तिदामानदा,ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

ब्रह्मचारिणी माता शंकर भगवान को बहुत प्रिय हैं और वे ही हमें सभी तरह की भक्ति व मुक्ति प्रदान करती हैं। ब्रह्मचारिणी माता की कृपा से इस सृष्टि में शांति व्याप्त होती है। मैं उन ब्रह्मचारिणी माँ को प्रणाम करता हूँ।