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Sankashti Chaturthi 2025 | महत्त्व, पूजा विधि और परंपराएं | PDF

संकष्टी चतुर्थी हिंदू धर्म का एक पवित्र व्रत है जिसे भगवान गणेश को समर्पित किया गया है। इसे प्रत्येक चंद्र मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। “संकष्टी” का अर्थ है “संकटों का नाश”। यह दिन भक्तों द्वारा भगवान गणेश की कृपा पाने और अपने जीवन के सभी विघ्न-बाधाओं को दूर करने के लिए मनाया जाता है।

2025 में संकष्टी चतुर्थी कब-कब है?

संकष्टी चतुर्थी 2025 में 17 मार्च सोमवार के दिन मनाई जाएगी यह दिन गणेश भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र होता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से उनके आशीर्वाद से जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं।

संकष्टी चतुर्थी का महत्त्व

  1. संकटों का नाश: भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है। इस दिन उनकी पूजा करने से सभी विघ्न और बाधाएं दूर हो जाती हैं।
  2. धार्मिक शांति: यह व्रत भक्तों के मन को शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है।
  3. पारिवारिक सुख-शांति: इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
  4. चंद्रमा की पूजा: संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व है। इसे देखने और अर्घ्य देने से मानसिक शांति मिलती है।

संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि

  1. प्रातःकाल की तैयारी:
    • सूर्योदय से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
    • मन में भगवान गणेश की पूजा का संकल्प लें।
  2. भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें:
    • पूजा स्थल पर गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर रखें।
    • मूर्ति के सामने दीपक जलाएं।
  3. संकल्प:
    • व्रत का संकल्प लें और भगवान गणेश का ध्यान करें।
  4. पूजा सामग्री:
    • लाल या पीले रंग का वस्त्र, मोदक, दूर्वा घास, फल, फूल, रोली, चंदन और मिठाई।
    • गणेश जी को मोदक का भोग लगाएं।
  5. गणपति स्तोत्र और मंत्र पाठ:
    • गणेश अथर्वशीर्ष, गणेश चालीसा और “ॐ गण गणपतये नमः” का जाप करें।
  6. चंद्रमा को अर्घ्य देना:
    • रात को चंद्रमा को जल अर्पित करें और उनकी पूजा करें।

संकष्टी चतुर्थी पर क्या करें?

  1. व्रत रखें:
    • इस दिन सूर्योदय से चंद्र दर्शन तक व्रत रखें।
    • फलाहार कर सकते हैं।
  2. दान करें:
    • गरीबों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करें।
  3. ध्यान और प्रार्थना करें:
    • दिनभर भगवान गणेश का ध्यान करें और उनकी आरती करें।
  4. सकारात्मक विचार रखें:
    • इस दिन नकारात्मक विचारों से बचें और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएं।

संकष्टी चतुर्थी पर क्या न करें?

  1. झूठ और अपशब्द:
    • इस दिन झूठ बोलने और किसी के साथ बुरा व्यवहार करने से बचें।
  2. मांसाहार और शराब का सेवन:
    • इस दिन मांसाहार और शराब का सेवन वर्जित है।
  3. कटु वचन:
    • किसी के प्रति कटु वचन न बोलें।
  4. लालच:
    • धन, संपत्ति या किसी अन्य चीज़ के प्रति लालच न रखें।

संकष्टी चतुर्थी का वैज्ञानिक दृष्टिकोण

संकष्टी चतुर्थी के व्रत से शरीर और मन दोनों को शुद्धि मिलती है। व्रत रखने से पाचन तंत्र को आराम मिलता है और मन में शांति आती है। इस दिन ध्यान करने से मानसिक ऊर्जा बढ़ती है।

संकष्टी चतुर्थी की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव और पार्वती के पुत्र गणेश जी ने अपने ज्ञान और शक्ति से सभी देवताओं की समस्याओं को हल किया। इस दिन गणेश जी ने चंद्रमा को श्राप से मुक्त किया था। इसलिए इस दिन चंद्रमा को देखकर उन्हें अर्घ्य देने का विशेष महत्त्व है।

संकष्टी चतुर्थी एक पवित्र और फलदायी व्रत है। यह दिन भगवान गणेश की कृपा पाने और जीवन में शांति, समृद्धि और सफलता लाने के लिए महत्वपूर्ण है। इस व्रत को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ करें और अपने जीवन के सभी विघ्नों को दूर करें।

यदि आप इस दिन पूरी निष्ठा से भगवान गणेश की पूजा करते हैं, तो निश्चित ही वे आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करेंगे।