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Gayatri Mantra | गायत्री मंत्र | PDF

  • Mantar
  • अक्टूबर 14, 2024

गायत्री मंत्र (Gayatri Mantra)का जाप मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति, और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। यह मानसिक तनाव और चिंता को कम करता है, स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है, और संकल्प शक्ति को मजबूत करता है। इसके नियमित जाप से ध्यान और एकाग्रता में सुधार होता है, और धार्मिक व आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। इस प्रकार, गायत्री मंत्र जीवन में सुख, समृद्धि, और सही दिशा प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

Gayatri Mantra

ॐ गं गणपतये नमः॥

ॐ भूर्भुवः स्वः

ॐ: यह परमात्मा का पवित्र नाम है।
भूः: प्रथ्वी लोक (भौतिक स्तर)।
भुवः: अंतरिक्ष लोक (मानसिक स्तर)।
स्वः: स्वर्ग लोक (आध्यात्मिक स्तर)।

तत्सवितुर्वरेण्यं।

तत्: उस (परमात्मा) का,
सवितुः: सविता (सृजनकर्ता, सूर्य) का,
वरेण्यम्: जो सर्वोत्तम है, स्तुत्य है।

भर्गो देवस्य धीमहि

भर्गः: दिव्य तेज (आध्यात्मिक शक्ति),
देवस्य: दिव्य (भगवान) का,
धीमहि: हम ध्यान करते हैं।

धियो यो नः प्रचोदयात्॥

धियो: बुद्धियों को,
यो: जो,
नः: हमारी,
प्रचोदयात्: प्रेरित करें।

संपूर्ण अर्थ: हम उस परमात्मा के दिव्य प्रकाश (सविता देवता) का ध्यान करते हैं जो इस संसार का सृजनकर्ता है। वह परमात्मा हमारी बुद्धियों को प्रेरित और प्रकाशित करे।

गायत्री मंत्र: 21 बार जाप

ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्॥1॥

ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्॥2॥

ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्॥3॥

ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्॥4॥

ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्॥5॥

ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्॥6॥

ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्॥7॥

ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्॥8॥

ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्॥9॥

ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्॥10॥

ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्॥11॥

ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्॥12॥

ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्॥13॥

ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्॥14॥

ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्॥15॥

ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्॥16॥

ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्॥17॥

ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्॥18॥

ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्॥19॥

ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्॥20॥

ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्॥21॥

गायत्री मंत्र को 21 बार उच्चारण करने से इसकी महिमा और शक्ति को अधिकतम स्थान प्राप्त होता है। इस मंत्र को ध्यानपूर्वक और श्रद्धापूर्वक जपने से व्यक्ति को आत्मिक विकास, बुद्धिमत्ता की प्राप्ति, और धार्मिक साधना में सहायता मिलती है।