
हिंदू धर्म में गुरु बृहस्पति व्रत का अत्यंत महत्त्व है। यह व्रत भगवान बृहस्पति, जिन्हें गुरु ग्रह भी कहा जाता है, को समर्पित है। भगवान बृहस्पति को ज्ञान, बुद्धि, समृद्धि, और धर्म का कारक माना गया है। इस व्रत को करने से जीवन में आने वाली सभी प्रकार की कठिनाइयों का समाधान होता है, और व्यक्ति को सुख-शांति और धन-धान्य प्राप्त होता है। व्रत विशेष रूप से उन लोगों द्वारा किया जाता है जो आर्थिक कठिनाइयों, वैवाहिक समस्याओं, या ज्ञान प्राप्ति में बाधाओं का सामना कर रहे हैं।
व्रत का महत्त्व
गुरु बृहस्पति व्रत बृहस्पतिवार के दिन किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और भगवान बृहस्पति की पूजा की जाती है। व्रत के नियमों का पालन करने वाले व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। मान्यता है कि गुरु बृहस्पति व्रत करने से व्यक्ति के सभी कार्य सफल होते हैं और उसके जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
व्रत कथा
प्राचीन काल में एक गरीब ब्राह्मण अपनी गरीबी और दुख से अत्यंत परेशान था। वह दिन-रात सोचता था कि किस प्रकार वह अपने जीवन को सुखी और समृद्ध बना सकता है। उसकी पत्नी भी उसके साथ इन कष्टों को सहन कर रही थी। एक दिन ब्राह्मण ने अपनी पत्नी से कहा, “हमारा जीवन बहुत कठिन हो गया है। हमें भगवान की आराधना करनी चाहिए ताकि हमारी कठिनाइयाँ समाप्त हो सकें।”
ब्राह्मण की पत्नी ने सहमति जताई और दोनों ने गुरु बृहस्पति की आराधना करने का निर्णय लिया। उन्होंने बृहस्पतिवार का व्रत आरंभ किया। ब्राह्मण ने अपने घर में एक छोटे से स्थान पर भगवान बृहस्पति की मूर्ति स्थापित की और रोजाना पीले फूल, हल्दी, और गुड़ से उनकी पूजा करने लगा। व्रत के दौरान वे दोनों दिनभर उपवास रखते और शाम को पीले वस्त्र धारण कर चने की दाल और गुड़ का प्रसाद ग्रहण करते।
कुछ समय बाद, उनकी भक्ति और श्रद्धा से प्रसन्न होकर भगवान बृहस्पति ने ब्राह्मण के घर प्रकट होकर कहा, “वत्स, मैं तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न हूँ। तुम जो भी इच्छा रखो, उसे पूरा करने के लिए मैं यहाँ आया हूँ।”
ब्राह्मण ने हाथ जोड़कर कहा, “हे प्रभु! मैं अत्यंत निर्धन हूँ। कृपया मेरी गरीबी को दूर करें और मुझे सुख-समृद्धि प्रदान करें।” भगवान बृहस्पति ने आशीर्वाद दिया और कहा, “तुम्हारा व्रत सफल होगा। आज से तुम्हारे जीवन में खुशियाँ लौटेंगी। तुम्हारी समृद्धि का मार्ग प्रशस्त हो गया है।”
भगवान बृहस्पति के आशीर्वाद से ब्राह्मण का जीवन धीरे-धीरे बदलने लगा। उसकी आर्थिक स्थिति सुधरने लगी, और उसके घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास हुआ।
व्रत के नियम
गुरु बृहस्पति व्रत के लिए कुछ विशेष नियमों का पालन करना होता है। इन नियमों का पालन श्रद्धा और निष्ठा के साथ करना चाहिए:
- स्नान और शुद्धता: व्रत के दिन प्रातःकाल स्नान करके साफ और पीले वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को स्वच्छ और शुभ बनाएं।
- पूजा सामग्री: भगवान बृहस्पति की पूजा के लिए पीले फूल, हल्दी, चने की दाल, गुड़, केला, और पीले वस्त्र का उपयोग करें।
- पूजा विधि: – भगवान विष्णु और बृहस्पति की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं। – भगवान बृहस्पति को पीले फूल, हल्दी, और गुड़ अर्पित करें। – “ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः” मंत्र का जाप करें। – कथा का पाठ करें और भगवान बृहस्पति से अपनी मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना करें।
- भोजन और दान: व्रत के दिन केवल पीले रंग का भोजन करें। नमक का सेवन न करें। जरूरतमंदों को चने की दाल, गुड़, और पीले वस्त्र का दान करें।
- संकल्प: व्रत को आरंभ करने से पहले संकल्प लें कि आप इसे श्रद्धा और नियमपूर्वक करेंगे।
व्रत की विशेष कथा
एक अन्य कथा के अनुसार, एक नगर में एक साधु रहता था जो गुरु बृहस्पति की पूजा नियमित रूप से करता था। उसकी भक्ति से प्रभावित होकर भगवान बृहस्पति ने उसे अत्यधिक ज्ञान और समृद्धि प्रदान की। नगर के लोग उसकी प्रशंसा करने लगे और उससे अपनी समस्याओं का समाधान पूछने लगे। साधु ने लोगों को गुरु बृहस्पति व्रत का महत्व समझाया और उन्हें इसे करने की विधि बताई।
उस नगर की एक निर्धन महिला ने साधु की बात मानकर बृहस्पतिवार का व्रत आरंभ किया। उसने गुरु बृहस्पति की पूजा के लिए पीले वस्त्र पहने, हल्दी और चने की दाल अर्पित की, और पूरे दिन उपवास रखा। धीरे-धीरे उसके घर में समृद्धि आने लगी, और उसका जीवन सुखमय हो गया।
व्रत का प्रभाव
गुरु बृहस्पति व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
- आर्थिक समृद्धि: व्रत करने वाले की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
- वैवाहिक जीवन में सुख: जिन दंपतियों के जीवन में समस्याएँ होती हैं, उनके रिश्तों में मिठास आती है।
- बुद्धि और ज्ञान: विद्यार्थियों और विद्वानों को विशेष लाभ मिलता है।
- धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ: व्रत करने से व्यक्ति के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
- कष्टों का निवारण: जीवन के सभी प्रकार के कष्ट और बाधाएँ समाप्त होती हैं।
व्रत की विधि
व्रत की विधि को नियमपूर्वक पालन करने पर ही इसका पूर्ण फल प्राप्त होता है। इस व्रत को कम से कम 11 गुरुवार या 21 गुरुवार तक करना चाहिए।
- प्रातः स्नान के बाद भगवान बृहस्पति और भगवान विष्णु की पूजा करें।
- पीले फूल, हल्दी, चने की दाल, और गुड़ का उपयोग पूजा में करें।
- कथा का पाठ करें और उसके बाद “ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः” मंत्र का जाप करें।
- व्रत के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र का दान करें।
- व्रत के अंत में प्रसाद के रूप में चने की दाल और गुड़ का सेवन करें।
गुरु बृहस्पति व्रत व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति, समृद्धि, और ज्ञान का संचार करता है। यह व्रत सरल और प्रभावी है, जिसे श्रद्धा और नियमपूर्वक करने से मनचाहा फल प्राप्त होता है। भगवान बृहस्पति की कृपा से जीवन में आने वाली सभी बाधाएँ समाप्त होती हैं और व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। इसलिए, इस व्रत को पूरी श्रद्धा और निष्ठा के साथ करना चाहिए।